6th JPSC News : छठी जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का नहीं जारी होगा फ्रेश रिजल्ट, आदेश को चुनौती देगा JPSC

6th JPSC News, Jharkhand Civil Services: झारखंड लोक सेवा आयोग छठी संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा का फ्रेश रिजल्ट जारी नहीं करेगा. जेपीएससी ने एकल पीठ के आदेश को चुनाैती देने का निर्णय लिया. जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने शनिवार को झारखंड हाइकोर्ट में अपील याचिका दायर की है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 1, 2021 8:47 AM

6th JPSC News, Jharkhand Civil Services: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) छठी संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा का फ्रेश रिजल्ट जारी नहीं करेगा. जेपीएससी ने एकल पीठ के आदेश को चुनाैती देने का निर्णय लिया. निर्णय के आलोक में जेपीएससी की अोर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने शनिवार को झारखंड हाइकोर्ट में अपील (जेपीएससी बनाम दिलीप कुमार सिंह) याचिका दायर की है. याचिका की प्रति महाधिवक्ता कार्यालय व संबंधित पक्षकार को भी दी गयी है. जेपीएससी ने छठी सिविल सेवा परीक्षा के फाइनल रिजल्ट और अनुशंसा को सही ठहराते हुए एकल पीठ के फैसले को चुनाैती दी है.

मेरिट लिस्ट तैयार करने में कोई गड़बड़ी नहीं की : याचिका में जेपीएससी ने कहा है कि छठी सिविल सेवा की मेरिट लिस्ट तैयार करने में कोई गड़बड़ी नहीं की है. पेपर-वन (हिंदी-अंग्रेजी) क्वालीफाइंग पेपर के अंक को कुल प्राप्तांक में जोड़ा जाना पूरी तरह सही है. विज्ञापन की शर्तों के अनुसार, मेरिट लिस्ट तैयार की गयी. फाइनल रिजल्ट जारी करते हुए राज्य सरकार के पास नियुक्ति के लिए अनुशंसा भेजी गयी थी. बाद में सरकार ने 326 अनुशंसित अभ्यर्थियों की नियुक्ति की है.

परीक्षा के आयोजन में कोई त्रुटि नहीं हुई है. इसलिए आयोग पर एकल पीठ द्वारा लगाया गया आक्षेप भी सही नहीं है. आयोग ने एकल पीठ के आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया है. उधर सफल अभ्यर्थियों (नाैकरी कर रहे अधिकारियों) ने दर्जनों अपील याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनाैती दी है. उन्होंने छठी जेपीएससी के रिजल्ट को सही बताते हुए एकल पीठ के आदेश को निरस्त करने की मांग की है.

एकल पीठ ने सात जून को रद्द की थी छठी जेपीएससी की मेरिट लिस्ट: ज्ञात हो कि झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की एकल पीठ ने सात जून को फैसला सुनाते हुए छठी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा की मेरिट लिस्ट व अनुशंसा रद्द कर दी थी. जेपीएससी को आठ सप्ताह में नये सिरे से फ्रेश रिजल्ट प्रकाशित करने और राज्य सरकार को अनुशंसा भेजने का आदेश दिया था.

एकल पीठ ने सरकार को कहा था कि अनुशंसा मिलने के चार सप्ताह के अंदर अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जाये. साथ ही अदालत ने नौकरी कर रहे 326 सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति को अमान्य घोषित किया था. प्रार्थी दिलीप कुमार सिंह, सुमित कुमार महतो, प्रदीप राम व अन्य की ओर से छठी जेपीएससी रिजल्ट को चुनौती दी गयी थी.

छठी जेपीएससी रिजल्ट मामले में कैविएट भी है दायर: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की ओर से आयोजित छठे संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा के रिजल्ट के मामले में झारखंड हाइकोर्ट में कैविएट याचिका दायर की गयी है. उक्त याचिका प्रार्थी प्रदीप राम व सुमित कुमार महतो की ओर से दायर की गयी है. अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने बताया कि इस मामले में प्रार्थी ने आग्रह किया है कि किसी भी अपील पर फैसला सुनाने के पूर्व उनके पक्ष को भी सुना जाये.

  • 49 सफल अभ्यर्थियों (नौकरी कर रहे अधिकारियों) ने भी दायर की है अपील याचिका

  • झारखंड हाइकोर्ट की एकल पीठ ने सात जून को छठी जेपीएससी के रिजल्ट व अनुशंसा को किया था निरस्त

  • जेपीएससी को आठ सप्ताह में फ्रेश रिजल्ट जारी करने का दिया था आदेश

अभ्यर्थियों ने कहा – गुमराह कर रहा जेपीएससी, गलती ढंकने का प्रयास: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा छठी सिविल सेवा परीक्षा का मामला फिर उलझता नजर आ रहा है. झारखंड हाइकोर्ट ने सात जून 2021 को छठी सिविल सेवा परीक्षा मामले में सुनवाई करते हुए फ्रेश मेरिट लिस्ट जारी करते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. इसके आलोक में महाधिवक्ता ने भी सरकार को फ्रेश मेरिट लिस्ट निकालते हुए दोषी अधिकारियों पर न्यायालय के आदेश को बरकरार रखने की सलाह दी. लेकिन लगभग 55 दिनों बाद शनिवार को जेपीएससी ने न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए डबल बेंच में जाने के लिए याचिका दायर कर दी.

आयोग द्वारा छुट्टी के दिन न्यायालय में चुनौती देना संदेह के घेरे में है. अभ्यर्थियों का मानना है कि जेपीएससी के अधिकारी स्वयं को बचाने के लिए न्यायालय पहुंचे हैं. क्योंकि इस पूरे मामले में तीन अध्यक्ष सहित तीन सचिव, परीक्षा नियंत्रक व सदस्य पूरी तरह से जिम्मेवार हैं. स्वयं पर कार्रवाई से बचने के लिए आयोग ने यह कदम उठाया है. ज्ञात हो हो कि छठी सिविल सेवा परीक्षा में 326 पदों पर नियुक्ति की गयी. वर्ष 2016 में जब यह परीक्षा आरंभ हुई, तब से यह विवादों में रहा. दो बार पैटर्न बदला गया. तीन बार संशोधित परिणाम निकला.

हर परीक्षा में रहा विवाद : अभ्यर्थी उमेश कुमार का कहना है कि आयोग इस बार भी यहां के युवाअों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है. अब तक जेपीएससी द्वारा जितनी भी सिविल सेवा परीक्षा परीक्षा ली गयी है, सभी किसी न किसी रूप में विवाद से घिरे रहे हैं. कहीं ना कहीं उन सबमें न्यायालय का सहारा लिया गया. परीक्षाअों में अनियमितता और रिजल्ट में कई बार गड़बड़ियां होने की सूचना मिलती रही.

अभ्यर्थी मानते हैं कि छठी सिविल सेवा परीक्षा मामले में जेपीएससी को डर था कि महाधिवक्ता की सलाह के बाद सरकार की अोर से कहीं आयोग को प्रतिकूल आदेश न मिल जाये. इस बात को बल तब मिलता है, जब आनन-फानन में शनिवार को छुट्टी के दिन आयोग ने उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध अपील दायर कर दी.

Posted by: Pritish Sahay

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