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Ranchi News : झारखंड में एक लाख की आबादी पर 70 कैंसर पीड़ित

रिम्स और सदर अस्पताल दे रहे नया जीवन

बिपिन सिंह, रांची : झारखंड में प्रति एक लाख की आबादी में 70 लोग कैंसर से पीड़ित हैं. इसमें ओरल कैंसर से पीड़ितों की संख्या सबसे ज्यादा है. आंकड़ों के अनुसार 40-45 फीसदी मरीज तंबाकू या इसके उत्पाद के उपयोग की वजह से ओरल कैंसर की चपेट में आते हैं. एनएफएचएस-पांच का आंकड़ा भी इसे पुष्ट करता है. इसके अनुसार झारखंड में 47.4 फीसदी पुरुष और 8.4 फीसदी महिलाएं तंबाकू का सेवन किसी न किसी रूप में करती हैं. यही वजह है कि राज्य में ओरल कैंसर से पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हालांकि जागरूकता और समय पर स्क्रीनिंग से इस जानलेवा बीमारी को हराया जा सकता है. इस दिशा में रिम्स और सदर अस्पताल रांची इलाज कर कैंसर रोगियों को नया जीवन दे रहे हैं. इधर, देश में कैंसर के बढ़ने की रफ्तार 12-13 फीसदी है, जिसके वर्ष 2025 तक 15.71 लाख होने का अनुमान है. इसे ध्यान में रखते हुए इस साल के केंद्रीय बजट में जिला अस्पतालों में कैंसर डे-केयर स्थापित करने व कैंसर की दवाओं को सस्ता करने का निर्णय हुआ है.

सदर अस्पताल में सर्जरी और कीमोथेरेपी की सुविधा

राजधानी के सुपर स्पेशियलिटी सदर अस्पताल में कैंसर के इलाज और कीमोथेरेपी की सुविधा दी जा रही है. अस्पताल में कैंसर वार्ड शुरू होने के बाद यहां रक्तविकार, गर्भाशय, स्तन, मुंह, डिंबग्रंथि, प्रोस्टेट और अग्नाशय कैंसर से पीड़ित लोग स्क्रीनिंग के लिए पहुंच रहे हैं. पिछले महीने अस्पताल में कुल 46,211 मरीजों ने अपना उपचार कराया, जिसमें 167 कैंसर रोगी थे. सदर अस्पताल के डे केयर में कीमोथेरेपी की सुविधा शुरू होने से मरीजों को काफी राहत मिल रही है. उनके पैसे तथा समय की बचत भी हो रही है. कैंसर के डेडिकेटेड वार्ड में डॉ अभिषेक रंजन रक्त विकार से जुड़े मरीजों का उपचार कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि अभी तक कैंसर से ग्रसित मरीजों को इलाज के लिए महानगरों में जाना पड़ता था, जिससे उनका समय और धन दोनों खर्च होता था, लेकिन अब जिला स्तर पर ही कैंसर रोगियों का इलाज हो रहा है. झारखंड में सबसे ज्यादा मुंह, स्तन, सर्वाइकल, फेफड़े और प्रोस्टेट का कैंसर देखने को मिलता है. जिनमें 60 फीसदी मामले मुंह, स्तन व गर्भाशय कैंसर के होते हैं.

रिम्स में कैंसर के इलाज के लिए अलग से विंग

राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में कैंसर के इलाज के लिए अलग से विंग बनाया गया है. रिम्स में कैंसर की सर्जरी, रेडियोथेरेपी से इलाज की सुविधा है. यहां ओपीडी में एक महीना में 250 से ज्यादा मरीजों को परामर्श दिया जाता है. हालांकि रिम्स में मेडिकल अंकोलॉजिस्ट नहीं हैं, इसलिए सर्जिकल अंकोलॉजी में रोगियों को परामर्श दिया जाता है. वहीं, रिम्स का कहना है कि शीघ्र ही मेडिकल अंकोलॉजिस्ट को नियुक्त किया जायेगा.

सदर अस्पताल में हो चुकी है जटिल सर्जरी

सदर अस्पताल में चटकपुर की रहने वाली 35 वर्षीय महिला की पहली बार जटिल एपीआर सर्जरी हुई. निजी अस्पताल में इसका खर्च पांच लाख रुपये से ज्यादा पड़ता. यह ऑपरेशन आयुष्मान योजना के तहत बिल्कुल मुफ्त किया गया. अस्पताल के डॉ जयंत घोष ने कोलोनोस्कोपी और बायोप्सी करायी. सर्जरी विभाग की सलाह पर चार साइकिल कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के बाद डॉ प्रकाश भगत और लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ अजीत कुमार, एनेस्थेटिस्ट डॉ जयवंत मुर्मू ने सफल ऑपरेशन किया.

क्या कहते हैं डॉक्टर

कैंसर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जिससे शरीर के किसी भी हिस्से की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं. कैंसर शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फैलता है. सबसे पहले शरीर के किसी एक हिस्से में होने वाले कैंसर को प्राइमरी ट्यूमर कहते हैं, जिसके बाद शरीर के दूसरे हिस्सों में होने वाला ट्यूमर मैटास्टेटिक या सेकेंडरी कैंसर कहलाता है.

कैंसर के शुरुआती लक्षण

कैंसर के आम लक्षण के तौर पर वजन में कमी, बुखार, भूख में कमी, हड्डियों में दर्द, खांसी या मुंह से खून आना शामिल है. चिकित्सकों के मुताबिक अगर किसी भी व्यक्ति को यह लक्षण दिखायी दे, तो उसे तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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