रांची: कई दवा कंपनियां जीवन रक्षक दवाइयों की अधिक कीमत वसूल रही है. भारत सरकार की अधिकृत संस्थान ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑडर्स (डीपीसीओ) ने आवश्यक व जीवन रक्षक दवाइयों की कीमत निर्धारित कर रखी है, इसके बावजूद कंपनियां तय मूल्य से ज्यादा कीमत पर दवाइयों की बिक्री कर रही है. कंपनियों ने अधिक एमआरपी तय कर रखा है.
राज्य के औषधि निरीक्षकों ने विभिन्न कपंनियों द्वारा बनायी गयी दवाइयों के एमआरपी व डीपीसीओ की निर्धारित दर से तुलनात्मक अध्ययन के बाद यह गड़बड़ी पकड़ी है. राज्य औषधि निदेशालय ने नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग आॅथिरिटी (एनपीपीए) को इसकी पूरी रिपोर्ट भेज दी है. रिपोर्ट हजारीबाग के डिप्टी डायरेक्टर (ड्रग) डॉ सुजीत कुमार ने 19 नवंबर व छह अक्तूबर 2015 को भेजी है.
भारत सरकार ने देश में आवश्यक व जीवन रक्षक दवाओं पर निगरानी रखने व न्यूनतम कीमत निर्धारित करने के लिए ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) की स्थापना की है. डीपीसीओ हर साल अध्ययन कर दवाइयों की न्यूनतम कीमत निर्धारित करती है. बकायदा इसकी पूरी लिस्ट जारी की जाती है. इसके बाद कंपनी निर्धारित कीमत या उससे कम कीमत निर्धारित करती है. इसकी मॉनेटरिंग नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग आॅथिरिटी (एनपीपीए) करता है. राज्य में इस पर राज्य औषधि निदेशालय नजर रखता है.
औषधि निदेशालय द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट में यह लिखा गया है कि लेब्रोट फार्मास्यूटिकल ने सिफ्लोक्स 500 एमजी (10 टैबलेट) की कीमत 66.75 रुपये तय की है, जाे डीपीसीओ की कीमत से 26.02 रुपये अधिक है. कंपनी मार्टिन एंड ब्राउन बॉयो साइंस ने दवा एलजोल की 10 एमएल बोतल की कीमत 25 रुपये निर्धारित की है, जो 8.50 रुपये अधिक है. एल्केम हेल्थ साइंस ने दवा टेक्सीम-ओ 200 (10 टैबलेट) की कीमत 13.26 तय कर रखी है, जो निर्धारित कीमत से 0. 46 रुपये प्रति टैबलेट ज्यादा है. एल्केम पैन आइवी (वाइल) पर 56.61 रुपये तय किया गया है, जो तय कीमत से 2.03 रुपये अधिक है. वहीं जीएस फार्मा बेटाडीन ने 100 एमएल बोतल की कीमत 106.05 रुपये रखी है, लेकिन इसकी कीमत 4.05 रुपये अधिक है.
दवाइयों के मॉलिक्यूल में बदलाव कर बच जाती हैं दवा कंपनियां
कंपनियां डीपीसीओ से निकलने के लिए चालकी भी करती है. सूत्रों की मानें तो कंपनी दवा के कंपोजिशन व मॉलिक्यूल की मात्रा में ऐसा परिवर्तन करती है कि पता ही नहीं चल पाता है. उदाहरण के तौर पर एक कंपनी दवा के साथ स्ट्रेलाइज वाटर जोड़ देती है या मॉलिक्यूल की मात्रा को हल्का कम कर देती है, तो वह डीपीसीओ के दायरे से बाहर निकल जाती है.
इन औषधि निरीक्षकों ने की गड़बड़ी की जांच, रिपोर्ट एनपीपीए को भेजी गयी
एनपीपीए को भेजी गयी रिपोर्ट को डिप्टी डायरेक्टर ड्रग डॉ सुजीत कुमार, ड्रग इंस्पेक्टर प्रणव कुमार, प्रतिभा झा, गौरव कुमार, शैल अंबष्टा, जया, चंदन कश्यप, रामकुमार, आलोक, अमित, धनश्याम, नसीम, अबरार व अवधेश कुमार द्वारा की गयी जांच के आधार पर तैयार किया गया है.
हमने भेज दी रिपोर्ट, एनपीपीए को करनी है कार्रवाई
दवा कंपनियाें ने डीपीसीओ द्वारा कीमत निर्धारित करने के बावजूद जीवन रक्षक व आवश्यक दवाइयों की कीमत अधिक रखी है. यह नियम का उल्लंघन है. औषधि निरीक्षकों ने जांच कर जो जानकारी दी है, उसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की गयी है. रिपोर्ट एनपीपीए को भेज दिया गया है. अब आगे की कार्रवाई एनपीपीए को करना है.
डॉ सुजीत कुमार, डिप्टी डायरेक्टर, हजारीबाग
गलत कर रही दवा कंपनियां
कई दवा कंपनियां डीपीसीओ द्वारा निर्धारित कीमत से अधिक पैसा ले रही है. ऐसा कर गलत किया जा रहा है. अलग-अलग औषधि निरीक्षकों ने जांच में इसे पकड़ा है. रिपोर्ट तैयार कर एनपीपीए को भेज दिया गया है. अब कार्रवाई करने का अधिकार एनपीपीए का है.
रितू सहाय, निदेशक औषधि