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सुविधाएं चाहिए, ताे पैसे देने ही पड़ेंगे!

रांची : राजधानी में रहने वाले लोगों का होल्डिंग टैक्स बढ़ाये जाने का प्रस्ताव है. वर्तमान में लागू होल्डिंग टैक्स का निर्धारण 1992 में किया गया था. अब 23 वर्षों बाद होल्डिंग टैक्स के दर में वृद्धि पर विचार किया जा रहा है. इधर, रांची नगर निगम द्वारा तैयार किये गये होल्डिंग टैक्स बढ़ाने के […]

रांची : राजधानी में रहने वाले लोगों का होल्डिंग टैक्स बढ़ाये जाने का प्रस्ताव है. वर्तमान में लागू होल्डिंग टैक्स का निर्धारण 1992 में किया गया था. अब 23 वर्षों बाद होल्डिंग टैक्स के दर में वृद्धि पर विचार किया जा रहा है. इधर, रांची नगर निगम द्वारा तैयार किये गये होल्डिंग टैक्स बढ़ाने के प्रस्ताव का निगम प्रतिनिधियों ने ही विरोध शुरू कर दिया. इस साल 11 जनवरी को हुई नगर निगम बोर्ड की बैठक में पार्षदों ने इसे खारिज कर दिया.

पार्षदों ने तर्क दिया : दो साल बाद निकाय चुनाव है. वोट मांगने लोगों के बीच जाना होगा. पार्षदों ने होल्डिंग टैक्स वृद्धि के प्रस्ताव को पेंडिंग रखना बेहतर समझा.पार्षदों ने होल्डिंग टैक्स बढ़ाने के प्रस्ताव की कोई पड़ताल करने की जरूरत नहीं समझी. जबकि, वर्तमान हालात में दशकों से पुर्नरीक्षित नहीं किये गये होल्डिंग टैक्स का पुनरीक्षण जरूरी है.

चर्चा होल्डिंग टैक्स में की जा रही बढ़ोतरी पर होनी चाहिए. बातें जनता पर पड़नेवाले बोझ पर होनी चाहिए. लोगों को यह पता होना चाहिए कि उन पर कितना अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और उसका क्या फायदा मिलेगा. चर्चा पिछले दो दशक से होल्डिंग टैक्स का पुनरीक्षण नहीं होने की वजह बने निगम के हालात पर भी होनी चाहिए. नगर निगम की सेवा के दिनों-दिन गिरते स्तर पर होनी चाहिए. परंतु, दुर्भाग्य से इन बातों पर विचारने के पहले ही होल्डिं की प्रस्तावित वृद्धि को नकारने की पटकथा तैयार की जा रही है.

टैक्स बढ़ा, तो नगर निगम हमें बेहतर नागरिक सुविधाएं दे पायेगा
नगर निगम द्वारा अगर नये होल्डिंग टैक्स के दर को स्वीकृति दे दी जाती है, तो इससे निगम शहरवासियों को बेहतर नागरिक सुविधाएं उपलब्ध करा पायेगा. वर्तमान में निगम शहर के गली- मोहल्ले में सड़क, नाली, कलवर्ट निर्माण करने के अलावा स्ट्रीट लाइट मरम्मत, फॉगिंग, नये चापाकलों का अधिष्ठापन व मेंटेनेंस, डीप बोरिंग, टैंकर से जलापूर्ति, डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने का काम करता है. परंतु निगम की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण निगम को हर छोटी-बड़ी योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए सरकार का मुंह ताकना पड़ता है. सरकार से फंड मिलने की स्वीकृति में निगम की कई योजनाएं काफी सालों से अधर में लटकी हुई हैं.
97 हजार घरों से 12 करोड़ वसूली होती है सालाना
वर्तमान में रांची नगर निगम शहर के 97 हजार घरों से होल्डिंग टैक्स के रूप में 12 करोड़ रुपये की वसूली करता है. अगर टैक्स वृद्धि के इस प्रस्ताव को निगम बोर्ड स्वीकृत कर देता है, तो इससे निगम को होल्डिंग टैक्स के मद में 50 कराेड़ रुपये की आमदनी होने की उम्मीद है. अगर निगम बोर्ड से इसे मंजूरी नहीं मिलती है, तो नगर निगम अपने आंतरिक स्त्रोत से शहर की सफाई भी नहीं करवा पायेगा. क्योंकि नगर निगम आनेवाले समय में जिस कंपनी को शहर के सफाई कार्य का जिम्मा सौंपने वाला है, वह प्रतिमाह सफाई के एवज में निगम से तीन करोड़ लेगा. जो साल में 36 करोड़ होगी. इस प्रकार निगम की सालाना आय जहां 12 करोड़ ही रहेगी. वहीं कंपनी द्वारा सफाई का कार्य किये जाने पर ही 36 करोड़ रुपये निगम काे खर्च करने पड़ेंगे. यह रकम देना नगर निगम के लिए संभव नहीं होगा.
अभी एक हजार वर्गफीट पर 58 रुपये सालाना होता है टैक्स
गुजरे 23 वर्षों से नगर निगम द्वारा वर्तमान में होल्डिंग टैक्स वसूलने के लिए प्रति वर्गफीट केवल 1.60 रुपये एनुअल रेंटल वैल्यू निर्धारित की गयी है. यानी, शहर के किसी भी इलाके में रहनेवाले लाेगाें को एक हजार वर्गफीट का एनुअल रेंटल वैल्यू 1600 रुपये होता है. नगर निगम एनुअल रेंटल वैल्यू की 43.75 प्रतिशत राशि होल्डिंग टैक्स के रूप में वसूलता है. इसका मतलब यह हुआ कि एक हजार वर्गफीट के होल्डिंग से नगर निगम को मात्र 58 रुपये मासिक टैक्स मिलता है.
एक हजार वर्गफीट पर हर महीने 225 रुपये वसूली का प्रस्ताव : निगम ने शहर की सबसे प्रमुख सड़क पर भवन के एनुअल रेंट वैल्यू का 2.5 फीसदी होल्डिंग टैक्स निर्धारित किया है. प्रमुख सड़क पर एक हजार वर्गफीट के होल्डिंग का एनुअल रेंटल वैल्यू 1.08 लाख रुपये प्रतिवर्ष होता है. इस राशि का 2.50 प्रतिशत होल्डिंग टैक्स के रूप में वसूलना प्रस्तावित है. इसका अर्थ हुआ कि शहर की सबसे मुख्य सड़क पर एक हजार वर्गफीट के लिये केवल 225 रुपये मासिक होल्डिंग टैक्स लेने का प्रस्ताव है और सालाना 2700 रुपये. एक हजार वर्गफीट के पक्के छत वाले घर के होल्डिंग के टैक्स के रूप में यह राशि व्यावहारिक नहीं है.

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