झारखंड में कमजोर पड़ गये भाकपा माओवादी
झारखंड में माओवादी कमजोर हुए हैं. आंकड़ा भी यही कहता है. 2013 में झारखंड में 123 नक्सली घटनाएं हुई थी, जो 2015 में घट कर 76 हो गयी. इसका बड़ा कारण है पूरे राज्य में नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में सीआरपीएफ का कैंप बनना, तीन साल में पांच हजार से ज्यादा नक्सल विरोधी […]
झारखंड में माओवादी कमजोर हुए हैं. आंकड़ा भी यही कहता है. 2013 में झारखंड में 123 नक्सली घटनाएं हुई थी, जो 2015 में घट कर 76 हो गयी. इसका बड़ा कारण है पूरे राज्य में नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में सीआरपीएफ का कैंप बनना, तीन साल में पांच हजार से ज्यादा नक्सल विरोधी अभियान चलना, कई बड़े नक्सलियों का मारा जाना, कई की गिरफ्तारी होना, समर्पण करना, माओवादियों के पास हथियार और कैडर का अभाव होना. जानकार बताते हैं कि राज्य के कई जिलों में माओवादियों की जगह कई नक्सली संगठन या तो खड़ा हो गये हैं या खड़े कर दिये गये हैं.
सुरजीत सिंह, रांची
प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी झारखंड में कमजोर पड़ गया है. संगठन की गतिविधियों और उनकी ओर से की जानेवाली घटनाओं में कमी आयी है़ प्रभाव वाले कई इलाकों से नक्सलियों के पैर उखड़ गये हैं. ऐसा हाल के वर्षों में पुलिस की ओर से लगातार चलाये गये अभियान की वजह से हुआ है़ वर्ष 2013 में नक्सलियों ने 123 घटनाओं को अंजाम दिया था, वहीं 2014 और 2015 में क्रमश: 99 व 76 नक्सली घटनाएं हुईं. चतरा, सिमडेगा, खूंटी, रांची व हजारीबाग से यह संगठन लगभग समाप्त हो गया है.
पांच हजार से अधिक अभियान : भाकपा माओवादी संगठन का प्रभाव खत्म होने की एक वजह इन इलाकों में दूसरे छोटे उग्रवादी संगठनों का मजबूत होना भी रहा है. लेकिन सबसे बड़ी वजह दुरूह नक्सल प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ व जैप के कैंप बनना और पुलिस की ओर से लगातार अभियान चलाना है़ आंकड़े के मुताबिक पिछले तीन सालों में पुलिस ने पांच हजार से अधिक अभियान चलाये हैं. इनमें 2700 विशेष अभियान और 3374 एलआरपी शामिल हैं. अभियान पर निकली पुलिस के साथ तीन सालों में 175 बार नक्सलियों के साथ आमना-सामना भी हुआ. इसमें पुलिस हमेशा मजबूत पड़ी. तीन सालों में पुलिस ने 1524 नक्सलियों को गिरफ्तार किया. पुलिस दबिश और सरकार की सरेंडर पॉलिसी के कारण पिछले तीन साल में 40 नक्सलियों ने सरेंडर किया और मुख्यधारा में शामिल हुए.
तीन साल में चला अभियान
अभियान/सफलता 2013 2014 2015
विशेष अभियान 632 1082 986
एलआरपी 963 1216 1195
पुलिस मुठभेड़ 68 59 48
नक्सली गिरफ्तार 550 516 458
सरेंडर किया 15 12 09
तीन साल में पुलिस की बरामदगी
बरामदगी 2013 2014 2015
पुलिस हथियार 10 25 30
रेगुलर हथियार 20 09 13
देसी हथियार 238 267 263
कारतूस 2734 6293 4372
डेटोनेटर 3088 2328 48257
लैंड माइंस 259 451 899
विस्फोटक (किलो) 3577 605 9423.4
बंकर ध्वस्त 04 03 02
मिनी गन फैक्टरी 01 06 01
लेवी (लाख में) 46.59 31.62 70.54
2015 में नौ नक्सलियों
ने आत्मसमर्पण किया
15 जनवरी : लालदेव सिंह
08 फरवरी : अनिल सिंह
18 फरवरी : घुरा नाग
25 मार्च : विमल गुड़िया
29 जुलाई : शंकर उर्फ सुर पासवान, सब जोनल कमांडर महेश यादव उर्फ बनारसी, नरेंद्र यादव उर्फ नारे
30 दिसंबर : सब जोनल कमांडर गजेंद्र उर्फ गज्जु साव, एरिया कमांडर कुलदीप