मनोज कुमार को आइएएस बनाने का मामला: रिपोर्ट कैट में दाखिल नहीं कर रही सरकार

रांची : मनोज कुमार को आइएएस बनाने में हुई गड़बड़ी से संबंधित अमित खरे की रिपोर्ट सरकार ने अब तक कैट (सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिव्यूनल) में दाखिल नहीं की है़ मनोज कुमार की नियुक्ति को चुनौती देनेवाली याचिका में जांच रिपोर्ट दाखिल करने की मांग की गयी है़ पर इस मामले में सरकार की ओर कोई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2016 1:56 AM
रांची : मनोज कुमार को आइएएस बनाने में हुई गड़बड़ी से संबंधित अमित खरे की रिपोर्ट सरकार ने अब तक कैट (सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिव्यूनल) में दाखिल नहीं की है़ मनोज कुमार की नियुक्ति को चुनौती देनेवाली याचिका में जांच रिपोर्ट दाखिल करने की मांग की गयी है़ पर इस मामले में सरकार की ओर कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है़ इस दौरान दो तिथियों पर मामले की सुनवाई भी हुई़ .
चयन प्रक्रिया को कैट में दी गयी है चुनौती : जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता मनोज कुमार को चयन प्रक्रिया के सहारे आइएएस बनाये जाने काे लेकर कैट में चुनौती दी गयी है़ आरोप लगाया गया है कि मनोज कुमार के नाम की अनुशंसा करने में गड़बड़ी की गयी है़ निर्धारित नियम को नहीं माना गया़ कैट में दायर याचिका में कहा गया है कि मनोज कुमार के नाम जारी दो साल की विशेष गोपनीय चारित्री खुद उन्हीं की लिखावट में है.

बिहार के कार्यकाल की विशेष गोपनीय चारित्री भी झारखंड में ही लिखी गयी है. उनके 10 वर्ष के सेवाकाल में सात वर्ष की विशेष गोपनीय चारित्री है. पहला विशेष गोपनीय चारित्री वित्तीय वर्ष 2004-05 से 2008-09 तक की अवधि की है. झारखंड कैडर मिलने के बाद उन्होंने 14 अप्रैल 2007 को लघु सिंचाई प्रमंडल साहेबगंज में सहायक अभियंता के पद पर योगदान दिया. बिहार में कार्यरत रहने की अवधि (2003-04 से 2006-07) की विशेष गोपनीय चारित्री भी झारखंड के अधिकारियों ने लिखी.

उनके किसी भी विशेष गोपनीय चारित्री में सक्षम तीनों अधिकारियों के हस्ताक्षर नहीं हैं.
कैट से हस्तक्षेप करने की मांग : याचिका में कहा गया है कि मामले के प्रकाश में आने के बाद राज्य सरकार ने वित्त विभाग के प्रधान सचिव अमित खरे से इसकी जांच करायी. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में मनोज कुमार के नाम की अनुशंसा किये जाने में गलतियां होने की बात कही है़ साथ ही विशेष गोपनीय चारित्री के आधार पर आइएएस में नियुक्त किये जाने की अनुशंसा को गलत माना है. इसलिए कैट इस मामले में हस्तक्षेप करे और मनोज कुमार की नियुक्ति को रद्द करने की दिशा में उचित आदेश पारित करे.
याचिका के साथ दस्तावेज भी लगाये गये
याचिका के साथ नियमों से संबंधित दस्तावेज लगाये गये हैं. जुलाई 2015 में अमित खरे की जांच रिपोर्ट से संबंधित प्रकाशित खबर का हवाला दिये जाने के बाद सरकार को जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया था. इसके बाद दो तिथियों पर मामले में सुनवाई हुई , पर सरकार की ओर से अब तक अमित खरे की जांच रिपोर्ट कैट में दाखिल नहीं की गयी है.

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