आदिवासी सरना महासभा ने राजभवन के समक्ष दिया धरना, एसएआर कोर्ट बंद करने के निर्णय का किया विरोध
रांची. एसएआर कोर्ट बंद किये जाने के फैसले के विरोध में आदिवासी सरना महासभा ने बुधवार को राजभवन के समक्ष धरना दिया. इसका नेतृत्व पूर्व विधायक सह महासभा के संयोजक देवकुमार धान व शिवा कच्छप ने किया. इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि एसएआर कोर्ट को बंद नहीं होने दिया जाये, यह आदिवासियों के हित […]
रांची. एसएआर कोर्ट बंद किये जाने के फैसले के विरोध में आदिवासी सरना महासभा ने बुधवार को राजभवन के समक्ष धरना दिया. इसका नेतृत्व पूर्व विधायक सह महासभा के संयोजक देवकुमार धान व शिवा कच्छप ने किया. इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि एसएआर कोर्ट को बंद नहीं होने दिया जाये, यह आदिवासियों के हित में नहीं है. कारण यह है कि सीएनटी एक्ट धारा 71 ए का प्रथम भाग बिल्कुल सही है. यह आदिवासियों के हित में है.
देवकुमार धान ने कहा कि यदि आदिवासियों की जमीन वापसी का रास्ता बंद होता है, तो जितने गैर आदिवासियों ने आज तक कंपनसेशन नहीं कराया है, वह एक प्रकार से वैध हो जायेगा.
उसे फिर कौन हटायेगा? सरकार को चाहिए कि अनुसूचित क्षेत्र विनियम 1969 के लागू होने से पहले जितनी जमीन गैर आदिवासियों ने अवैध तरीके से कब्जे में की है, उच्चस्तरीय कमेटी बना कर सरकार उसे चिह्नित करें. एसएआर कोर्ट में भूमि सुधार अपर समाहर्ता स्तर के पीठासीन पदाधिकारियों पर विगत 30 वर्षों से घाेटाले का अराेप लगता रहा है.