दो वर्षों से शोध व अध्ययन बंद
राज्य के जनजातीय शोध संस्थान का हाल संस्थान में शोधकर्ताअों सहित मानव संसाधन की कमी अनुबंध पर बहाली के लिए मिले एक करोड़ अनुपयोगी संजय रांची : राज्य के जनजातीय शोध संस्थान (ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट या टीआरअाइ) में दो वर्षों से शोध व अध्ययन का काम लगभग बंद है. शोधकर्ताअों सहित अन्य कर्मियों की कमी […]
राज्य के जनजातीय शोध संस्थान का हाल
संस्थान में शोधकर्ताअों सहित मानव संसाधन की कमी
अनुबंध पर बहाली के लिए मिले एक करोड़ अनुपयोगी
संजय
रांची : राज्य के जनजातीय शोध संस्थान (ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट या टीआरअाइ) में दो वर्षों से शोध व अध्ययन का काम लगभग बंद है. शोधकर्ताअों सहित अन्य कर्मियों की कमी के कारण सर्वें का एक काम गत दो वर्षों में सिर्फ हजारीबाग प्रमंडल में ही पूरा हो सका है. अादिम जनजातीय समूह (पीटीजी) के बेंच मार्क सर्वे का यह काम शेष प्रमंडलों में किया जाना बाकी है.
मानव संसाधन की कमी के कारण खुद राज्य सरकार की अोर से भी शोध-अध्ययन का कोई नया काम टीअारअाइ को नहीं दिया जा सका है. दरअसल अनुबंध पर बहाली तथा अनुबंध कर्मियों के लिए वेतन सहित अन्य स्थापना खर्च के लिए केंद्र से मिले एक करोड़ रुपये का उपयोग भी गत दो वर्ष से नहीं हो सका है. सरकार ने टीआरआइ का नाम तो बदल दिया, पर इसे संसाधन नहीं दिये.
संस्थान का नया नाम मशहूर शिक्षाविद, संस्कृतिकर्मी व धरती पुत्र स्व रामदयाल मुंडा के नाम पर हो गया है, पर संस्थान में मानव संसाधन के साथ-साथ भवन की देख-रेख व अाधारभूत सुविधाअों की भी कमी है.
अभी टीअारआइ में निदेशक सहित चार पदाधिकारी हैं. इनमें से दो प्रभार में हैं. वहीं चपरासी सहित चतुर्थवर्गीय कर्मियों की कुल संख्या 16 है, जो काम के अभाव में इन दिनों धूप सेंकते रहते हैं. इस वर्ग का कोई पद रिक्त नहीं है. संस्थान सूत्रों के मुताबिक नियुक्ति नियमावली न रहने से पदाधिकारियों व शोधकर्ताअों के रिक्त पद भरे जाने में परेशानी हो रही है.
विभिन्न पद संबंधी ब्योरा
पद संख्या स्थिति
निदेशक एक प्रभारी निदेशक कार्यरत
उप निदेशक तीन एक प्रभारी कार्यरत
सहायक निदेशक छह सभी रिक्त
शोध पदाधिकारी छह सभी रिक्त
शोध अन्वेषक छह दो कार्यरत
प्रयोगशाला सहायक चार सभी रिक्त
वरीय छायाकार एक रिक्त
लाइब्रेरियन एक रिक्त