रांची : सदर अस्पताल में भरती मरीजों को मुफ्त में सुबह का नाश्ता, दिन का भोजन व रात का खाना दिया जाता है, लेकिन समय पर नहीं. समय पर खाना नहीं मिलने के कारण अस्पताल में भरती मरीजों को खाने की व्यवस्था खुद करनी पड़ती है. इस अव्यवस्था का खमियाजा आठ वर्षीय मासूम तनव को भी भुगतना पड़ रहा है.
मालूम हो कि सदर अस्पताल में मरीजों को तीन टाइम भोजन दिया जाता है़ सुबह में यहां करीब (10.30 बजे से 11 बजे) के बीच नाश्ता दिया जाता है़ प्रभात खबर संवाददाता व फोटोग्राफर ने तीन दिन तक तनव की दिनचर्या को करीब से जाना. उसकी मुश्किलों को उसके साथ अनुभव किया.
प्रस्तुत है रिपोर्ट.
सुबह 10 बजे पहुंच जाता है केंद्र
हटिया का रहनेवाला आठ वर्षीय तनव कई दिनों से सदर अस्पताल में भरती है. उसे सुबह ही भूख लग जाती है. पर अस्पताल में उसे समय पर खाना नहीं मिलता़ ऐसे में खाना खाने के लिए वह रोज रेंगते हुए दाल-भात केंद्र पहुंच जाता है. वह बेड से उतरता है, फिर फर्श पर घसीटते हुए अस्पताल की सीढ़ियों से उतर कर दाल-भात केंद्र पहुंचता है. वहां उसे सुबह 10 बजे खाना मिल जाता है. केंद्र की संचालिका ने बताया कि वह जब तक अस्पताल में रहेगा, उसे मुफ्त भोजन कराऊंगी.
ट्रेन से कटा था पैर, आठ माह से है भरती
तनव ने बताया कि वह पढ़ना चाहता है, लेकिन पैर कट जाने के कारण वह स्कूल नहीं जा सकता. पिता भी नि:शक्त हैं. उनका एक पैर सही नहीं है. मां लोगों के घर में काम कर पैसा कमाती है. वह कमा-धमा कर मां-बाप की मदद करना चाहता था, इसलिए रांची आने के लिए हटिया से ट्रेन पकड़ रहा था. इसी दौरान ट्रेन से पैर कट गया. तनव बताता है कि अस्पताल में कई बार सुबह 11 बजे नाश्ता मिलता है.
निकल पड़े आंसू
अपनी व्यथा बताते हुए तनव रोने लगता है. उसने बताया कि वह आठ माह से अस्पताल में है. डॉक्टर बाबू कहते हैं कि कृत्रिम पैर लगवा देंगे, लेकिन अभी तक नहीं लगा. जब तक पैर ठीक नहीं होगा, कुछ कर नहीं सकता़