कृषि अधिकारी शिवा ने मांगा वीआरएस

रांची : पश्चिमी सिंहभूम सह सरायकेला-खरसावां के जिला उद्यान पदाधिकारी डॉ एमएसए महालिंगम शिवा ने सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) मांगा है. उन्होंने इस संबंध में कृषि, पशुपालन व सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा है कि विभाग के अन्यायपूर्ण रवैये से लगातार मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंच रही है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2016 1:08 AM
रांची : पश्चिमी सिंहभूम सह सरायकेला-खरसावां के जिला उद्यान पदाधिकारी डॉ एमएसए महालिंगम शिवा ने सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) मांगा है. उन्होंने इस संबंध में कृषि, पशुपालन व सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा है कि विभाग के अन्यायपूर्ण रवैये से लगातार मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंच रही है. यह विषम परिस्थिति किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह कितना भी शिक्षित-समझदार क्यों न हो, कुंठाग्रस्त करने के लिए पर्याप्त है. ऐसी स्थिति में विभाग की सेवा करने में स्वयं को असमर्थ पा रहा हूं. ऐसे में मुझे वीआरएस दे दिया जाये.
अपनी उपलब्धि बतायी : उन्होंने लिखा है कि वह एक योग्य, कुशल व कार्य के प्रति प्रतिबद्ध पदाधिकारी हैं और 25 वर्षों से ज्यादा समय से विभाग में सेवारत हैं. उन्होंने लिखा कि उन्होंने कृषि में स्नातकोत्तर (प्रथम श्रेणी में प्रथम) किया है. साथ ही एक्सएलआरआइ जमशेदपुर से मैनेजमेंट की डिग्री हासिल करने के बाद आइआइटी खड़गपुर से डाॅक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. उन्होंने विभाग की कई महत्वपूर्ण योजनाअों का जिक्र किया है, जिसके क्रियान्वयन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है. इन्हें सारे जगहों पर सराहा गया, लेकिन मेरे अपने विभाग ने मेरे अनुभव का लाभ न उठा कर मुझे हाशिये पर छोड़ दिया.
नहीं बनने दिया निदेशक : उन्होंने लिखा कि वर्ष 2010 में जेपीएससी द्वारा आयोजित चयन परीक्षा में कृषि निदेशक पद के लिए पैनल में उनका नाम दूसरे स्थान पर रखा था. प्रथम स्थान पर नामित उम्मीदवार के अहर्ता नहीं रखने के कारण मेरा उस पद पर चयन लगभग तय था, लेकिन अधिकारी के निजी विद्वेष से मेरी अधिसूचना जारी नहीं की गयी.
25 साल में एसीपी भी नहीं
उन्होंने लिखा कि 25 साल से ज्यादा सेवा में रहने के बाद भी उन्हें एक भी एसीपी का लाभ नही मिला. उन्होंने लिखा कि उनके विरुद्ध कोई भी विभागीय कार्यवाही आज की तिथि में लंबित नहीं है. इतना ही नहीं कनीय पदाधिकारियों को गंभीर आरोपों के बाद भी एसीपी लाभ मिला. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मेरे पास पैरवी आदि नहीं होने के कारण लगातार मुझे दबाया जाता रहा है. वहीं दूसरे पदाधिकारियों के गंभीर आरोपों को नजरअंदाज कर उन्नयन व प्रोन्नति दी गयी है.

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