प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को हाइकोर्ट ने लगायी फटकार, अधिकारी काम करना नहीं चाहते

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को रांची, जमशेदपुर, धनबाद व बोकारो में बायो मेडिकल कचरे के उचित निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगायी. कोर्ट ने कहा कि बोर्ड के अधिकारी कहां सोये हुए हैं. पूर्व में जो निर्देश दिया गया था, उसका पूरी तरह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2016 1:11 AM
रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को रांची, जमशेदपुर, धनबाद व बोकारो में बायो मेडिकल कचरे के उचित निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगायी. कोर्ट ने कहा कि बोर्ड के अधिकारी कहां सोये हुए हैं. पूर्व में जो निर्देश दिया गया था, उसका पूरी तरह से पालन क्यों नहीं किया गया.
बोर्ड के सदस्य सचिव को प्रत्येक सुनवाई के दाैरान सशरीर उपस्थित रहने का निर्देश दिया. कोर्ट ने बोर्ड को यह भी निर्देश दिया कि वह मेडिकल संस्थानों का निरीक्षण करे. जिसके पास मानक के अनुसार व्यवस्था नहीं हो, तो उसे बंद कर दें. किसी भी जिला, प्रखंड या गांव में लाइसेंस व बोर्ड की अनुमति के बिना मेडिकल संस्थान, नर्सिंग होम आदि का संचालन नहीं होगा. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ में हुई. खंडपीठ ने अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए माैखिक रूप से कहा कि ऐसा लगता है कि अधिकारी काम करना नहीं चाहते हैं. स्थिति को बदलना होगा.

प्रैक्टिकल रूप से धरातल पर काम करना ही होगा. अस्पतालों, क्लिनिक आदि के जैविकीय कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन करना जरूरी है. यह काफी खतरनाक होता है. खंडपीठ ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, नगर आयुक्त व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को बायो मेडिकल कचरे के उठाव व निष्पादन का मॉडल तैयार करने के लिए बैठक कर निर्णय लेने का निर्देश दिया. वह मॉडल ऐसा हो, जो हमेशा चलता रहे. यह भी कहा कि इसके लिए जरूरत हो, तो चंडीगढ़, हैदराबाद आदि शहरों में लागू मेडिकल कचरे के डिस्पोजल सिस्टम का अध्ययन कर उसका लाभ उठाया जा सकता है.

लिये गये निर्णयों से कोर्ट को अवगत कराया जाये. 15 दिनों के अंदर विस्तृत रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 मार्च की तिथि निर्धारित की. राज्य सरकार की अोर से अधिवक्ता राजेश शंकर ने पक्ष रखा. मालूम हो कि प्रार्थी झारखंड ह्युमैन राइट्स कांफ्रेंस की अोर से जनहित याचिका दायर कर मेडिकल कचरे के उचित निष्पादन के लिए सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया है.

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