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रांची में “कम्युनिटी रेडियो पर जागरुकता कार्यशाला ” आयोजित

रांची : झारखंड की राजधानी रांची में कम्युनिटी रेडियो पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया. 25-27 फरवरी तक चलने वाली इस कार्यशाला का विषय – स्मार्ट ( सीकींग मार्डन एप्लीकेशंस फॉर रीयल ट्रांसफोर्मेशन) पर अधारित था.कैपिटल रेसिडेंसी होटल में आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ 25 फरवरी को पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार की अपर महानिदेशक […]

रांची : झारखंड की राजधानी रांची में कम्युनिटी रेडियो पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया. 25-27 फरवरी तक चलने वाली इस कार्यशाला का विषय – स्मार्ट ( सीकींग मार्डन एप्लीकेशंस फॉर रीयल ट्रांसफोर्मेशन) पर अधारित था.कैपिटल रेसिडेंसी होटल में आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ 25 फरवरी को पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार की अपर महानिदेशक श्रीमती एस्थर कार ने किया.

कार्यशाला के दूसरे दिन 26 फरवरी को स्मार्ट संस्था की संस्थापक और रेडियो मेवात से जुड़ी अर्चना कपूर ने प्रतिभागियों के साथ रेडियो की भाषा और कार्यक्रमों के विषयवस्तु की चर्चा की. स्थानीय बोली में कार्यक्रम बनाकर श्रोताओं के साथ आसानी से जुड़ा जा सकता है. समुदाय के लोग खुद रेडियों पर अपने सुख-दुख की बात करते हैं. खासकर महिलाएं, बच्चे, बुजुर्गों और हाशिए पर रह रहे लोगों का यह खुला मंच है. हिन्दी सिनेमा के गानों की जगह स्थानीय गीत-संगीत को यहां तरजीह दी जाती है. उन्होंने प्रतिभागियों को पॉवर वॉक भी कराया ताकि वे समाज के वंचित तबके को उनकी क्षमता का अहसास करा सके.
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देशभर से आए विभिन्न क्षेत्रों के सामुदायिक रेडियो संचालक और विशेषज्ञों ने प्रतिनिधियों से तमाम मुद्दों पर चर्चा की. बेंगलुरु के रेडियो एक्टिव से पिंकी चंद्रन, रेडियो बुंदेलखंड से जुड़े देशराज सिंह, रेडियो मेवात से मीनाक्षी कुकरेती, गढ़वा के रेडियो विकल्प से सुरेश कुमार, रेडियो एक्टिव भागलपुर से संदीप पांडेय, सीवान में चलने वाले सामुदायिक रेडियो सनेही से राणा प्रताप ने प्रतिभागियों से रेडियो स्टेशन चलाने में होने वाले खर्च और चुनौतियों की चर्चा की.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपनी जागरूकता कार्यशालाओं के लिए उन जिलों को चुना है जहाँ सामुदायिक रेडियो स्टेशन नहीं हैं. अभी देश में करीब 190 कम्युनिटी रेडियो स्टेशन ही काम कर रहे हैं. सामुदायिक रेडियो स्टेशन समुदायों द्वारा संचालित होते हैं और उनका स्वामित्व भी उनका ही होता है. यह विशेष समुदायों की अपनी कहानियों को कहने और अनुभवों को बांटने का जरिया है. भारत में खेती-किसानी, सेहत, स्वच्छता, महिला सशक्तीकरण जैसै तमाम सामाजिक मामलों के साथ विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी मुद्दों पर भी सामुदायिक रेडियो आमलोगों को जागरूक कर रहा है.
भारत सरकार सामुदायिक रेडियो को संचालित करने की अनुमति नागरिक संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों को देती है. इसके लिए इच्छुक आवेदनकर्ता को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में आवेदन करना होता है. ऐसे आवेदनकर्ता को इन कार्यशालाओं के जरिये स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष अपनी बात ज्यादा बेहतर ढंग से रखते हैं और उन्हें लाइसेंस मिलने में सुविधा होती है.
सामुदायिक रेडियो सामाजिक संवाद के लिए प्रभावी वैकल्पिक मीडिया है. सीमित भोगौलिक दायरे के कारण इसका प्रसारण दिलचस्प और मजेदार है. भारत जैसे प्रचुर सांस्कृतिक संसाधन वाले देश में इसके फैलाव की अपार संभावनाएं हैं. सामुदायिक रेडियो जागरूकता कार्यशालाओं के जरिए पूरे देश में इस वैकल्पिक मीडिया को जन-जन तक पहुंचाने की योजना को प्रभावी बनाया जा रहा है.

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