देश में प्रति व्यक्ति 200 क्यूबिक मीटर पानी
रांची : भारत में एक व्यक्ति के लिए एक वर्ष में मात्र 200 क्यूबिक मीटर पानी के स्टोरेज की क्षमता है. पूरी दुनिया में एक व्यक्ति पर 955 क्यूबिक मीटर बचता है. वहीं भारत के पड़ोसी देश चीन में एक व्यक्ति पर 2200 क्यूबिक मीटर पानी है. भारत में 30 प्रतिशत पानी तिब्बत से आनेवाली […]
रांची : भारत में एक व्यक्ति के लिए एक वर्ष में मात्र 200 क्यूबिक मीटर पानी के स्टोरेज की क्षमता है. पूरी दुनिया में एक व्यक्ति पर 955 क्यूबिक मीटर बचता है. वहीं भारत के पड़ोसी देश चीन में एक व्यक्ति पर 2200 क्यूबिक मीटर पानी है.
भारत में 30 प्रतिशत पानी तिब्बत से आनेवाली नदियों से मिलता है. तिब्बत अभी चीन का हिस्सा है. चीन अभी तिब्बत के इलाके में कई डैम बना रहा है, जो आनेवाले समय में भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है.
वर्तमान में सिंचाई, पेयजल और औद्योगिक उपयोग में पानी की मांग बढ़ी है, पर पानी के रिजवार्यर की स्थिति जस की तस है, इसकी क्षमता नहीं बढ़ी है. यह एक गंभीर संकट की ओर संकेत कर रहा है. यह बातें शनिवार को झारखंड में सिंचाई, पेयजल और औद्योगिक उपयोग में पानी की उपलब्धता पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में द इंस्टीट्यूशन अॉफ इंजीनियर्स के वाटर मैनेजमेंट फोरम के अध्यक्ष ओटी गुलाटी ने कही. सेमिनार का आयोजन द इंस्टीट्यूशन अॉफ इंजीनियर्स द्वारा इंजीनियर्स भवन में किया गया था.
श्री गुलाटी ने कहा कि चिंता इस बात कि है कि यदि चीन पानी को रेगुलेट कर दे, तो 30 प्रतिशत पानी भी भारत में रुक जायेगा. तब क्या होगा. औद्योगिक उपयोग और पेयजल हो या सिंचाई में पानी की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है. सप्लाई और डिमांड को पूरा करना एक चुनौती है.
इस विषय पर आगे के लिए सोचना होगा. सेमिनार में केंद्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष एबी पंडया ने कहा कि झारखंड में औद्योगिक इस्तेमाल के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की मांग बड़ी है. वर्तमान की जो भी परियोजनाएं हैं, वह सिंचाई को ध्यान में रख कर तैयार की गयी थी. कई परियोजनाओं में औद्योगिक मांग की पूर्ति का कोटा समाप्त हो गया और अब नयी मांग उठ रही है.
अब परियोजनाओं को इस हिसाब से डिजाइन करना होगा कि एक ही परियोजना से औद्योगिक, सिंचाई और पेयजल की जरूरत पूरी हो सके. झारखंड में स्टोरेज बढ़ाने की जरूरत है. लोगों को पानी की उपलब्धता की चुनौती को पूरा करने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़नी होगी. कार्यक्रम में एनके राय ने कहा कि झारखंड की परियोजनाएं लोगों के विरोध के कारण पूरी नहीं हो पा रही है.
अब तक 32 परियोजनाएं ही पूरी हो सकी है. रिजवार्यर का काम अटका हुआ है. इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. स्वागत भाषण शिवानंद राय ने दिया और धन्यवाद ज्ञापन सुब्रतो मुखर्जी ने किया. संचालन आरडी सिंह ने किया. सेमिनार के तकनीकी सत्र में सिंचाई योजना, पेयजल, औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लिए जल उपलब्धता के तरीकों पर चर्चा की गयी.
जनोपयोगी योजना पर ध्यान दें : चंद्रप्रकाश
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जल संसाधन एवं पेयजल तथा स्वच्छता मंत्री चंद्र प्रकाश चौधरी ने कहा कि सिंचाई योजना बनाने के पूर्व हर वैसी बातों का ध्यान रखें, जो जनोपयोगी हो. यह देखा या सुना जा सकता है कि योजना के निर्माण में खर्च तो काफी हो जाता है मगर उसकी उपयोगिता नहीं रह जाती है.
उन्होंने कहा कि सिंचाई योेजना का समुचित लाभ मिले और पेयजल की उपलब्धता बनी रहे, इसको लेकर संबंधित विभाग को समन्वय बना कर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ यहां तक कह रहे हैं कि आनेवाले समय में पानी के लिए युद्ध होगा. भूमिगत जल स्तर दिनोंदिन घटता जा रहा है. इस लिहाज से जल संग्रह एवं जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. नदी को जोड़ने का कार्य चल रहा है. इसमें भी विलंब हुआ है.