आधुनिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा नीति बने : डॉ दिनेश उरांव
रांची : पाठ्यक्रम में एकरूपता होनी चाहिए. आधुनिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा नीति बननी चाहिए. इसके लिए बुद्धिजीवी व सरकार के बीच तालमेल स्थापित करने की आवश्यकता है. यह चिंता की बात है कि हमारे राज्य में उच्च शिक्षा का उचित माहौल नहीं मिलने के कारण विद्यार्थियों का पलायन हो रहा है. इसे रोकने के लिए […]
रांची : पाठ्यक्रम में एकरूपता होनी चाहिए. आधुनिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा नीति बननी चाहिए. इसके लिए बुद्धिजीवी व सरकार के बीच तालमेल स्थापित करने की आवश्यकता है. यह चिंता की बात है कि हमारे राज्य में उच्च शिक्षा का उचित माहौल नहीं मिलने के कारण विद्यार्थियों का पलायन हो रहा है. इसे रोकने के लिए कदम उठाने होंगे.
उक्त बातें झारखंड विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव ने कही. वे शनिवार को राष्ट्रीय कॉलेज प्राचार्य सम्मेलन के समापन समारोह में बोल रहे थे. डॉ उरांव ने कहा कि स्कील डेवलमेंट कोर्स एेसे विषयों में शामिल हो, जिससे मेक इन इंडिया का सपना साकार हो सके. प्रतियोगिता के इस दौर में प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा के बीच समंजस्य स्थापित करने की जरूरत है.
सरकार ऐसी नीति बनाये कि पढ़नेवाले हर विद्यार्थियों को रोजगार व स्वरोजगार मिल सके. उच्च व तकनीक शिक्षा के सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान मांग के अनुरूप ही शिक्षा नीति बनाने की आवश्यकता है. अर्थव्यवस्था को जोड़ते हुए शिक्षा नीति व कोर्स तैयार हो. शिक्षा नीति में व्यापक परिवर्तन नहीं हुआ है, जबकि अर्थव्यवस्था में काफी बदलाव आ गया है.
विवि व उद्योग के बीच समन्वय स्थापित हो. गुणवत्तायुक्त शिक्षा के साथ लीडरशिप करनेवाली शिक्षा देने की जरूरत है. कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि शिक्षा में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होनी चाहिए. प्रतिकुलपति डॉ एम रजिउद्दीन ने कहा कि स्कील डेवलपमेंट समय की मांग है. इस अवसर पर 22 पत्र प्रस्तुत किये गये.
सम्मेलन में रांची कॉलेज मैनेजमेंट बोर्ड के अध्यक्ष डॉ एमपी सिंह, रांची कॉलेज के प्राचार्य डॉ यूसी मेहता, डॉ विनय भरत, डॉ एसके त्रिपाठी, डॉ एनडी गोस्वामी, डॉ सुभाष प्रसाद, डॉ अयूब, डॉ एक्यू जिलानी, डॉ भोला महतो, डॉ कुमकुम मेहता, डॉ ज्ञान सिंह, राजेश कुमार सिंह, अभयकृष्ण सिंह, नमिता सिंह, दीपक कुार, डॉ अशोक नाग, इंद्रनाथ साहू, मो आसिफ, डॉ नमिता लाल, डॉ केसी तिर्की आदि मौजूद थे.