सीएम से लेकर क्लर्क तक से हुआ हनन माननीयों के विशेषाधिकार का
वर्तमान बजट सत्र में सत्ता पक्ष के विधायक बिरंची नारायण ने विपक्ष के विधायक प्रदीप यादव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की शिकायत स्पीकर से की है़ प्रदीप यादव पर अडाणी पावर प्रोजेक्ट मामले में गलत तथ्यों के आधार पर सदन को गुमराह करने का आरोप है़ इसी सत्र में पिछले दिनोें विपक्ष के सुखदेव भगत, […]
वर्तमान बजट सत्र में सत्ता पक्ष के विधायक बिरंची नारायण ने विपक्ष के विधायक प्रदीप यादव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की शिकायत स्पीकर से की है़ प्रदीप यादव पर अडाणी पावर प्रोजेक्ट मामले में गलत तथ्यों के आधार पर सदन को गुमराह करने का आरोप है़ इसी सत्र में पिछले दिनोें विपक्ष के सुखदेव भगत, कुणाल षाड़ंगी और निरल पूर्ति ने कृषि मंत्री रणधीर सिंह के खिलाफ विधायकों के बारे में की गयी विवादित टिप्पणी पर विशेषाधिकार हनन का पत्र स्पीकर को दिया है़. पिछले एक जनवरी को विधानसभा की लोक लेखा समिति द्वारा गढ़वा जिला प्रशासन के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला लाया गया. माननीय यदा-कदा विशेषाधिकार का मामला लाते रहे है़ं राज्य गठन के बाद अब तक माननीयों ने विशेषाधिकार हनन के 156 मामले स्पीकर के सामने लाये है़ं जनप्रतिनिधियों को उनके संसदीय कार्यों के स्वतंत्र रूप से निर्वहन में बाधा डालने वालों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला लाने का संवैधानिक अधिकार है़. अब तक झारखंड में विशेषाधिकार के जितने मामले आये हैं, उनके अनुसार माननीयों को सर्वाधिक परेशानी थानों से है़ सीओ-बीडीओ, उपायुक्त-आयुक्त और विभागीय सचिवों के खिलाफ भी विशेषाधिकार हनन के 40 से ज्यादा मामले लाये गये है़ं माननीयों का विशेषाधिकार हनन चपरासी तक से हुआ है और मुख्यमंत्री से भी. अधिकतर मामले खारिज होते रहे हैं पर कई ऐसे मामले भी आये, जिनकी प्रामाणिकता साबित हुई और उनमें कार्रवाई भी हुई. राज्य गठन से अब तक विशेषाधिकार हनन के आये मामलों पर प्रभात खबर की विस्तृत रिपोर्ट़
रांची : राज्य गठन के बाद अब तक विधायकों के विशेषाधिकार हनन के 156 मामले आये है़ं राज्य गठन के बाद तत्कालीन विधायक लोकनाथ महतो ने हजारीबाग के तत्कालीन उप विकास आयुक्त पीएन विद्यार्थी के खिलाफ पहला मामला लाया था़ इस वर्ष एक जनवरी 2016 को लोक लेखा समिति ने गढ़वा जिला प्रशासन के खिलाफ 156वां विशेषाधिकार हनन का मामला लाया है़ राज्य के माननीयों के विशेषाधिकार का हनन मुख्यमंत्री से लेकर चपरासी तक ने किया है़ माले विधायक रहे स्व महेंद्र सिंह वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के खिलाफ पहली बार विशेषाधिकार हनन का मामला लाये थे. इससे पूर्व वर्ष 2001 में भी स्व महेंद्र सिंह ने तत्कालीन गृहमंत्री और मुख्यमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया था़
विधायक रहे गिरिनाथ सिंह, वर्तमान में मंत्री सरयू राय ने भी समय-समय पर विशेषाधिकार हनन के दायरे में मुख्यमंत्री को लाया है़ वहीं भाजपा के विधायक रहे स्व मृगेंद्र प्रताप सिंह ने बिजली विभाग के क्लर्क के खिलाफ वर्ष 2001 में विशेषाधिकार हनन का मामला संज्ञान में लाया था. राज्य के मंत्रियों के खिलाफ भी विशेषाधिकार हनन के मामले समय-समय पर आते रहे है़ं जल संसाधन मंत्री रहे रामचंद्र केशरी, कमलेश सिंह, स्वास्थ्य मंत्री रहे भानु प्रताप शाही के खिलाफ भी विधायकों ने विशेषाधिकार हनन की शिकायत की़
मुख्यमंत्री, मंत्री से जुड़े ज्यादातर मामले स्पीकर की ओर से ड्राॅप कर दिये गये़ पुलिस-प्रशासन से माननीयों के विशेषाधिकार का सर्वाधिक हनन होता है़ स्पीकर के समक्ष 40 से 50 मामले दारोगा और एसपी को लेकर आये है़ं माननीयों का विशेषाधिकार हनन सबसे ज्यादा थाना प्रभारी करते है़ं कई मामले में स्पीकर ने निंदन जैसे कार्रवाई की़ ज्यादातर मामलों में साक्ष्य और आरोपों को लेकर सत्यता साबित नहीं हो पायी़ इसके चलते मामले खारिज कर िदये गये.
विशेषाधिकार के दो ऐसे मामले हैं, जिन पर गौर करें, तो पक्ष-विपक्ष की राजनीति के भी संकेत मिलते है़ं वर्ष 2002 में गिरिनाथ सिंह तत्कालीन मुख्यमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला लाये, तो सत्ता पक्ष की ओर से विधायक अशोक कुमार ने प्रतिपक्ष के नेता स्टीफन मरांडी के खिलाफ ही विशेषाधिकार हनन का मामला ला दिया. ऐसे में यह आरोप लग सकता है कि विशेषाधिकार हनन के मामले राजनीतिक कारणों से भी लाये जाते है़ं
किस वर्ष कितने मामले
2000 02
2001 18
2002 17
2003 07
2004 07
2005 07
2006 05
2007 09
2008 17
2010 13
2011 14
2012 11
2013 06
2014 10
2015 12
2016 01
शिकायतों पर कमेटी करती है विचार, स्पीकर हैं पदेन सभापति
विशेषाधिकार हनन की शिकायत पर विधानसभा की विशेषाधिकार कमेटी विचार करती है़ स्पीकर इसके पदेन सभापति होते है़ं इस कमेटी में संसदीय कार्य मंत्री, प्रतिपक्ष के नेता सदस्य होते है़ं स्पीकर दूसरी कमेटियों के सभापति को भी इस कमेटी के सदस्य के रूप में नामित करते हैं. कार्यवाही इसी कमेटी के माध्यम से चलती है़ स्पीकर संबंधित शिकायतों पर कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है़ं विधायक जिसके खिलाफ शिकायत लाते हैं, उनसे भी कमेटी अपना पक्ष रखने के लिए कहती है़ विशेषाधिकार की प्रक्रिया के तहत संबंधित पक्ष को सबसे पहले नोटिस भेजा जाता है़
मंत्री रहते भी दिया गया है नोटिस
मंत्री रहते हुए भी अधिकारियों पर विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है़ मंत्री को पुलिस प्रशासन से परेशानी रही है़ वर्ष 2013 में कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने आइजी आरके मल्लिक, रांची के तत्कालीन एसपी साकेत सिंह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला लाया था़ मामला जेएससीए स्टेडियम में क्रिकेट मैच देखने के दौरान प्रोटोकॉल उल्लघंन का था़ मंत्री का आरोप था कि पुलिस अधिकारी बैठे रहे आैर उनको कुरसी नहीं मिल रही थी़ वहीं मामला यह भी अाया कि मैच के दौरान उनके सुरक्षाकर्मी हथियार लेकर साथ पहुंच गये थे़ बाद में पुलिस ने भी पूरे मामले की जांच की़ इस मामले में भी कुछ नहीं हुआ़.
एक में आरोप प्रमाणित, अधिकारी को मिली सजा, पोस्टिंग से हटाया
विशेषाधिकार हनन के एक मामले में अधिकारी को सजा मिली़ मामला वर्ष 2008 में आया था़ प्रदीप यादव ने विशेषाधिकार हनन का मामला लाया था़ दिल्ली के झारखंड भवन में मुख्य प्रशासी पदाधिकारी के रूप में तैनात विनय कुमार वर्मा के खिलाफ मामला लाया गया था़ इस मामले में विशेषाधिकार कमेटी ने फैसला भी सुनाया़ श्री वर्मा को पोस्टिंग से हटाया गया और यह तय हुआ कि कभी भी इनको राज्य के बाहर तैनात नहीं किया जायेगा़.
उपमुख्यमंत्री के रूप में रघुवर दास के खिलाफ भी लाया गया था मामला
वर्ष 2010 में विधायक प्रदीप यादव ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला लाया था़ हालांकि इस मामले पर विचार करने के बाद तत्कालीन स्पीकर ने इसे ड्राॅप कर दिया था़
प्रभात खबर पर भी तीन बार आया है विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव
दैनिक प्रभात खबर पर भी तीन बार विशेषाधिकार हनन की शिकायत माननीयों ने की है़ अखबार में छपी रिपोर्ट के आधार पर विधायकाें ने अखबार के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही की मांग की है़ सबसे पहले वर्ष 2001 में तत्कालीन विधायक अन्नपूर्णा देवी ने प्रभात खबर के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की शिकायत की थी़ इसके बाद वर्ष 2003 में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री लालचंद महतो ने प्रभात खबर के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन का मामला चलाने की मांग की़ सीपीआइ के विधायक भुनेश्वर प्रसाद मेहता ने प्रभात खबर के संपादक के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला लाया था.
विशेषाधिकार हनन के एक मामले को कोर्ट में भी दी गयी है चुनौती
विधायक दशरथ गागराई सरायकेला-खरसावां के मेटालसा लिमिटेड के एचआर हेड के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला वर्ष 2015 में लेकर आये थे. कंपनी पर जरूरत से ज्यादा जमीन अधिग्रहित करने का आरोप था़ सूचना के मुताबिक कंपनी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है़ कंपनी की दलील है कि उसके द्वारा ऐसा कुछ नहीं किया गया है, जिससे विधायक की अवमानना हुई है़ ऐसे में विशेषाधिकार का मामला नहीं बनता है़ इस मामले में अब विधानसभा को भी अपना पक्ष रखना होगा़