झारखंड सोसाइटी फॉर स्किल डेवलपमेंट इनीशिएटिव स्कीम (जेएसएसडीआइएस) के तहत दोनों अधिकारियों ने कोषाध्यक्ष के पद पर रहते हुए राज्य के 15 जिलों में कार्यरत 74 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को केंद्र से मिले अनुदान की राशि दी. इनके कार्यकलापों में अस्थायी कंप्यूटर आॅपरेटर आमिर सोहैल और कैशियर बलदेव सिंह भी शामिल थे. फिलहाल बलदेव सिंह आइटीआइ धनबाद में हैं. इन पर बगैर कैशबुक के संधारन के ही विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र को पैसे दिये जाने की साजिश रची गयी.
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योगेंद्र प्रसाद, शशि भूषण समेत चार पर प्राथमिकी
रांची: झारखंड सरकार ने श्रम नियोजन, प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग के सहायक निदेशक योगेंद्र प्रसाद और उप निदेशक शशि भूषण प्रसाद समेत चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है. इन लोगों पर गलत तरीके से प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में निबंधन करा कर 10 करोड़ से अधिक की सरकारी राशि का गबन करने का गंभीर […]
रांची: झारखंड सरकार ने श्रम नियोजन, प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग के सहायक निदेशक योगेंद्र प्रसाद और उप निदेशक शशि भूषण प्रसाद समेत चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है. इन लोगों पर गलत तरीके से प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में निबंधन करा कर 10 करोड़ से अधिक की सरकारी राशि का गबन करने का गंभीर आरोप लगाया गया है.
झारखंड सोसाइटी फॉर स्किल डेवलपमेंट इनीशिएटिव स्कीम (जेएसएसडीआइएस) के तहत दोनों अधिकारियों ने कोषाध्यक्ष के पद पर रहते हुए राज्य के 15 जिलों में कार्यरत 74 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को केंद्र से मिले अनुदान की राशि दी. इनके कार्यकलापों में अस्थायी कंप्यूटर आॅपरेटर आमिर सोहैल और कैशियर बलदेव सिंह भी शामिल थे. फिलहाल बलदेव सिंह आइटीआइ धनबाद में हैं. इन पर बगैर कैशबुक के संधारन के ही विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र को पैसे दिये जाने की साजिश रची गयी.
मंत्री ने दी थी एसीबी से जांच कराने की सहमति
दो दिन पहले विभागीय मंत्री राज पालिवार ने चारों आरोपी अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ वित्तीय अनियमितता की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से कराने की अनुमति दी थी. इसके बाद फाइल मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास भेजी गयी है. विभाग की तरफ से आरोपियों की संपत्ति की जांच कराने का भी आग्रह किया गया है. इस मामले को सबसे पहले विभाग के विशेष सचिव राकेश कुमार सिंह ने पकड़ा था. उन्होंने कैश बुक जब्त कर सभी संबंधित जिलों के उपायुक्तों से पूरे प्रकरण पर रिपोर्ट भी मांगी थी. उपायुक्तों की तरफ से रिपोर्ट भेजने में देर किये जाने के बाद विभागीय मंत्री के पास संचिका भेजी गयी थी. प्रशिक्षण देने के नाम पर हुए घोटाले की जांच की मांग विधानसभा में भी विधायक प्रदीप यादव ने की थी.
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