लंबे समय से प्रताड़ना झेल रही संतोषी मुक्ति चाहती थी, देवर करता था प्रताड़ित, हत्या करवा दी
कम लोग ही जानते थे कि केबुल का कारोबार करनेवाली वह महिला लगातार प्रताड़ित हो रही है. प्रताड़ना ऐसी, जिसने उसके भीतर बदले की भावना पैदा कर दी और वह हत्या कराने जैसे अपराध को अंजाम देने में भी पीछे नहीं हटी. वह भूल गयी थी कि सजा देना कानून का काम है. उसकी इसी […]
कम लोग ही जानते थे कि केबुल का कारोबार करनेवाली वह महिला लगातार प्रताड़ित हो रही है. प्रताड़ना ऐसी, जिसने उसके भीतर बदले की भावना पैदा कर दी और वह हत्या कराने जैसे अपराध को अंजाम देने में भी पीछे नहीं हटी. वह भूल गयी थी कि सजा देना कानून का काम है. उसकी इसी भूल और बदले की आग ने उसे जेल की काल कोठरी में पहुंचा दिया.
सुरजीत सिंह
surjeet.singh@prabhatkhabar.in
16 दिसंबर. कड़ाके की ठंड. लोग अपने घरों में कंबल के नीचे दुबके हुए थे. तभी रांची की हातमा बस्ती में राशन डीलर संजय कुमार के परिवार की महिलाएं घर से बाहर निकल कर चीख-चिल्ला रही थीं. आसपास के लोग जगे, तब पता चला कि मफलर से मुंह ढंके तीन अपराधियों ने संजय के घर पर हमला किया. घर की महिलाओं को कब्जे में लेकर रसोई घर में बंद कर दिया और धारदार हथियार से मार कर संजय कुमार को जख्मी कर दिया है. आनन-फानन में संजय कुमार को रिम्स ले जाया गया. गोंदा थाना की पुलिस को मामले की जानकारी दी गयी. दूसरे दिन सुबह में संजय कुमार की मौत हो गयी. बेहोश होने के कारण पुलिस उनका बयान नहीं ले सकी. घर के लोगों से सिर्फ यह पता चला कि तीन लोग आये थे, जिन्होंने हत्या की.
शुरुआत में यह बात सामने आयी कि करीब दो माह पहले भतीजी को लेकर संजय कुमार का झगड़ा कुछ युवकों से हुआ था. मारपीट हुई थी. युवकों ने संजय को धमकी भी दी थी. जब गोंदा थाना प्रभारी रमेश कुमार ने जांच शुरू की, तो धीरे-धीरे शक की सूई परिवार के लोगों की तरफ घूमने लगी. जब मामला खुला तो यह बात सामने आयी कि संजय कुमार पिछले 17-18 साल से किसी को प्रताड़ित कर रहा था. प्रताड़ना से तंग आकर पीड़िता ने सुपारी देकर उसकी हत्या करवा दी. संतोषी देवी हातमा बस्ती की रहनेवाली है. केबुल का कारोबार करती है. उसके पहले पति की मौत किडनी खराब होने से हो गयी थी. जिसके बाद उसने अपने छोटे देवर अजय से शादी कर ली. दुर्भाग्य से कुछ दिन बाद ही एक बीमारी से अजय की भी मौत हो गयी. इसके बाद वर्ष 1998 में उसने राजकुमार नामक व्यक्ति से शादी की. जिसके बाद वह अपने पहले पति के घर में ही मिले दो कमरे में बच्चों के साथ रहती थी. केबुल के कारोबार से 18-20 हजार रुपये प्रतिमाह की कमाई हो जाती थी. संतोषी का मायका चान्हो क्षेत्र में है. वह अक्सर मायका जाती थी. इसी दौरान ऑटो चालक मकबूल अंसारी से उसकी जान-पहचान हो गयी थी. मकबूल ने उसे अपना मोबाइल नंबर दे रखा था.
संतोषी जब भी मायका जाती थी, मकबूल को फोन कर बता देती थी. उसका समय ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन राजकुमार से शादी करने के बाद संतोषी की जिंदगी में संजय कुमार खलल डालता था. संजय कुमार उसके पूर्व पति का भाई था. संतोषी पर तरह-तरह का आरोप लगा कर लगातार प्रताड़ित करता था. कई बार संतोषी के चरित्र पर भी लांछन लगाता था. इसे वह बरदाश्त नहीं कर पाती थी. संजय की वजह से संतोषी बहुत परेशान रहने लगी थी. लंबे समय से प्रताड़ना झेल रही संतोषी किसी भी हाल में संजय से मुक्ति चाहती थी. धीरे-धीरे उसके अंदर बदले की भावना भी जाग गयी थी. एक दिन परेशान हाल में जह वह अपने मायका जा रही थी, तब मकबूल ने उससे परेशानी की वजह पूछी. संतोषी मकबूल पर विश्वास करने लगी थी, इस कारण उसे परेशानी बतायी.
यह भी पूछा कि क्या वह किसी ऐसे व्यक्ति को जानता है, जो पैसा लेकर संजय से उसे मुक्ति दिलवा दे. मकबूल ने मदद करने का भरोसा दिलाया. मकबूल की पहचान मांडर निवासी अपने ही नाम के एक व्यक्ति से था, जो गलत कामों में लिप्त रहता था और शातिर भी था. उसने संतोषी की बात उसे बतायी. फिर मकबूल (मांडर निवासी) ने अपने तीन साथियों के सहयोग से हत्या की योजना तैयार की. योजना के तहत मकबूल (ऑटो चालक) ने एक सिम संतोषी को दिया और कहा कि वह इसी नंबर से बात करे. संतोषी ने हत्या करने के लिए ऑटो चालक को 1.40 लाख रुपया दिये, जिसे उसने अपराधियों को दे दिया.
16 दिसंबर को मकबूल ने संतोषी को फोन कर बताया कि रात में संजय का काम तमाम कर दिया जायेगा. तुम (संतोषी) दरवाजा खोल देना. बाकी वे लोग देख लेंगे. योजना के तहत ऑटो चालक, मकबूल अंसारी, संदीप किस्पोट्टा, मो रियाज उर्फ भोला पांवरिया चाकू व चापर लेकर रांची पहुंचे. शाम में सभी ने मोरहाबादी मैदान में शराब पी, फिर रात के करीब 10 बजे संतोष, रेयाज और अफरोज बाइक से संतोषी के घर पहुंचे. दरवाजा खटखटाया. संतोषी ने दरवाजा खोला और फिर दो अपराधियों को लेकर संजय के कमरे तक गयी. संतोषी ने ही संजय के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए कहा कि कृति की मम्मी दरवाजा खोलो. जब संजय की पत्नी ने दरवाजा खोला, तो अपराधियों ने संतोषी व संजय की पत्नी को चाकू की नोक पर कब्जे में कर लिया. सभी को रसोई घर में ले जाकर बाहर से दरवाजा बंद कर दिया, ताकि किसी को संतोषी पर शक नहीं हो. इसके बाद दोनों ने मिल कर संजय की हत्या कर दी.
संजय की हत्या का सुराग नहीं मिल रहा था. संतोषी के मोबाइल का कॉल डिटेल खंगालने के बाद भी पुलिस को सिर्फ यह पता चला था कि ऑटो चालक से उसकी बात होती थी, लेकिन ज्यादा नहीं. इसकी वजह यह थी कि संतोषी दूसरे नंबर से ऑटो चालक से बात करती थी, जिसकी जानकारी किसी को नहीं थी. घटना के बाद दोनों ने अपने-अपने मोबाइल फेंक दिये थे. इसी दौरान गोंदा थानेदार को किसी ने सूचना दी कि मांडर-चान्हो के कुछ लोग संतोषी से मिलने आते थे. इस सूचना पर जब पुलिस ने काम करना शुरू किया, तो पुलिस को कुछ संदिग्ध व दागी युवकों के बारे में पता चला. संदीप किस्पोट्टा के बारे में पता चला कि वह किसी छोटे मामले में जेल जा चुका है. रेयाज के बारे में पता चला कि उसका पैर टूट गया है. इसी दौरान अपराधियों के बीच पैसे को लेकर भी विवाद हो गया था. पैसा देने के लिए ऑटो चालक मकबूल को अपना ऑटो भी बेचना पड़ा था, जिस कारण उनके बीच की कुछ बातें भी पुलिस को पता चली. अजय के परिवार के लोगों ने पुलिस को यह जानकारी दी थी कि एक अपराधी छत से कूद कर भागा था. इस कारण रेयाज पर पुलिस को शक था. पुलिस ने जब ऑटो चालक मकबूल को पकड़ा, तब रेयाज व अन्य भी पकड़े गये. इसके बाद पुलिस ने संतोषी को पकड़ा, तो उसने अपना अपराध कबूल कर लिया. अजय की हत्या के आरोप में पुलिस ने संतोषी, रेयाज, मकबूल (ऑटो चालक), मकबूल अंसारी और संतोष किस्पोट्टा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. सभी अभी बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं.