चारा घोटाला: नाबालिग भाई के नाम पर खरीदा था, मुजरिम के भाई को बैंक से मिला घोटाले का सोना

4952.00 ग्राम सोना संजय कुमार के नाम पर खरीदा गया था. सोने की खरीद के समय संजय कुमार नाबालिग थे. 18 अगस्त 2000 को इस गोल्ड बांड के परिपक्व होने पर संजय कुमार की ओर से इस विमुक्त करने के लिए आवेदन दिया गया और विमुक्त कर भी दिया गया, जबकि अदालत में यह साबित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2016 12:39 AM
4952.00 ग्राम सोना संजय कुमार के नाम पर खरीदा गया था. सोने की खरीद के समय संजय कुमार नाबालिग थे. 18 अगस्त 2000 को इस गोल्ड बांड के परिपक्व होने पर संजय कुमार की ओर से इस विमुक्त करने के लिए आवेदन दिया गया और विमुक्त कर भी दिया गया, जबकि अदालत में यह साबित हो चुका है कि यह सोना भी चारा घोटाले के पैसों से ही खरीदा गया था.
रांची: चारा घोटाले का 4.95 किलोग्राम सोना संजय कुमार को विमुक्त कर दिया गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने ‌इससे संबंधित सूचना राज्य सरकार को भेजी है. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में शपथ पत्र दायर कर इसकी जानकारी दी है. संजय कुमार घोटाले के मुजरिम त्रिपुरारी मोहन के भाई हैं.

आरबीआइ की ओर से राज्य सरकार व अदालत को दी गयी सूचना में कहा गया है कि चारा घोटाले के कांड संख्या आरसी 20ए/96 से जुड़ा 4952.00 ग्राम सोना संजय कुमार के नाम विमुक्त कर दिया गया है. वशिष्ठ नारायण सिन्हा ने इसे संजय कुमार के नाम से खरीदा था. सोने की खरीद के समय संजय कुमार माइनर थे. 18 अगस्त 2000 को इस गोल्ड बांड के मैच्योर (परिपक्व) होने पर संजय कुमार की ओर से इस विमुक्त करने के लिए आवेदन दिया गया. बैंक के दस्तावेज में भुगतान पर किसी तरह की रोक का अनुरोध नहीं होने से 27 अप्रैल 2001 को इसे विमुक्त कर दिया गया. इसी कांड से जुड़े सुशील कुमार, शकुंतला देवी, त्रिपुरारी मोहन, सुनील कुमार, रविनंदन कुमार आदि के नाम आरबीआइ में रखे गये गोल्ड बांड के वास्तविक ब्योरे और सीबीआइ द्वारा भेजे गये ब्योरे की मात्रा में अंतर है. आरबीआइ मुंबई शाखा द्वारा सोने की शुद्धता मापे जान के बाद मुख्यालय के दस्तावेज में वास्तविक वजन दर्ज किया गया है. सोने में सीबीआइ और आरबीआइ के वजन में अंतर होने की वजह से आरबीआइ ने इसे सरकारी खजाने में जमा करने से पहले अदालत की अनुमति मांगी है. सीबीआइ ने अदालत में याचिका दाखिल कर संजय कुमार को विमुक्त किये गये सोने को सरकारी खजाने में जमा करने का आदेश देने का अनुरोध किया है. सीबीआइ ने अपनी याचिका में कहा है कि यह साबित हो चुका है कि सोना घोटाले के पैसों से खरीदा गया था.
क्या है मामला
चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले आरसी 20ए/96 में मुजरिमों को सजा सुनाते वक्त तत्कालीन विशेष न्यायाधीश ने घोटाले के पैसों से खरीदे गये सोने को राज्य सरकार के खजाने में जमा कराने का निर्देश दिया था. इस निर्देश के आलोक में कुल दो क्विंटल सोना राज्य सरकार के खजाने में जमा कराना था. अदालत के आदेश के बाद मुजरिमों और सीबीआइ के आवेदनों पर सुनवाई के बाद अदालत ने पहले चरण में घोटाले के मुजरिम त्रिपुरारी मोहन से जुड़े लोगों के नाम खरीदे गये 39.475 किलोग्राम सोना को सरकारी खजाने में जमा करने का आदेश दिया था. इस अदालती आदेश के आलोक में सरकार ने योजना सह वित्त विभाग के प्रधान सचिव अमित खरे को सरकारी खजाने में सोना जमा कराने की जिम्मेवारी सौंपी थी. इस सिलसिले में उनके द्वारा की गयी कोशिशों के बाद आरबीआइ ने यह कदम उठाया है.
सोने का ब्योरा (ग्राम में)
आरबीआइ सीबीआइ बांड धारक
3578.00 3572.00 सुशील कुमार व वशिष्ठ नारायण सिन्हा
3372.50 3380.00 वशिष्ठ नारायण सिन्हा
5140.00 5137.00 शकुंतला देवी व नीलम सिन्हा
6803.50 6799.00 नीलम सिन्हा व त्रिपुरारी मोहन
5055.50 5037.00 त्रिपुरारी मोहन प्रसाद
4929.00 4915.00 सुशील कुमार
5145.00 5126.00 सुनील कुमार सिन्हा
500.00 500.00 रविनंदन कुमार सिन्हा
4952.00 4948.00 संजय कुमार

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