प्रशासन में संवेदनशीलता खत्म : सजल चक्रवर्ती

रांची: प्रशासन में संवेदनशीलता खत्म हो गयी है. प्रशासन में पहले पब्लिक और बाद में स्कीम का फाॅर्मूला अपनाया जाता था, क्योंकि सब कुछ पब्लिक के लिए ही होता है़ अब स्थिति बदल गयी है. अब पहले स्कीम और बाद में पब्लिक हो गयी है. 1980 बैच के आइएएस अधिकारी सजल चक्रवर्ती ने सेवानिवृति के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 31, 2016 12:39 AM
रांची: प्रशासन में संवेदनशीलता खत्म हो गयी है. प्रशासन में पहले पब्लिक और बाद में स्कीम का फाॅर्मूला अपनाया जाता था, क्योंकि सब कुछ पब्लिक के लिए ही होता है़ अब स्थिति बदल गयी है. अब पहले स्कीम और बाद में पब्लिक हो गयी है. 1980 बैच के आइएएस अधिकारी सजल चक्रवर्ती ने सेवानिवृति के पूर्व अपने प्रशासनिक अनुभवों की चर्चा करते हुए उक्त बातें कही.
श्री चक्रवर्ती ने कहा कि अब अगर कोई जनता किसी अफसर से मिलने आती है, तो सबसे पहले यह टिप्पणी होती है कि ‘न जाने कहां से चले आते हैं. हम पब्लिक सर्वेंट(जनता के नौकर) हैं. ठेठ भाषा में कहें, तो जनता हमें माइ-बाप समझती है, लेकिन हमारे अंदर की संवेदनशीलता समाप्त होने की वजह से यह माइ-बाप के बदले शासक की भूमिका में आ गये हैं. उन्होंने नये अधिकारियों को संवेदनशील होने की सलाह दी.
मैं हमेशा हथियार का ज्यादा लाइसेंस देना चाहता था : उन्होंने कहा कि उपायुक्त से मुख्य सचिव तक के कार्यकाल के दौरान मैंने कई उतार चढ़ाव देखा. हथियार का लाइसेंस देने और हेलीकॉप्टर खरीद के मामले में हमेशा व्यवस्था के साथ मतभेद रहा. मैं यह मानता हूं कि समाज में लाइसेंसी हथियार होने से अपराधियों में भय होगा. अपराध के लिए हमेशा गैर कानूनी हथियार का इस्तेमाल होता है. लाइसेंसी हथियार से अापराधिक घटनाएं नहीं के बराबर होती हैं.

चारा घोटाले में जेल जाना पड़ा. निचली अदाल से सजा भी हुई. हालांकि हाइकोर्ट में बरी हो गया. रांची में जब उपायुक्त बना, उस वक्त बात- बात में सांप्रदायिक तनाव हुआ करता था. अपराध के क्षेत्र में अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग गुंडों का दबदबा था. स्थिति से निबटने के लिए प्रशिक्षण के दौरान तत्कालीन डीएसपी बीएन मिश्रा से मिले. सबक और अपनी अकल का इस्तेमाल किया. जनता का विश्वास जगाने के लिए उन्हें प्राथमिकता दी.

सस्पेंड कर दिया था लालू यादव ने : जमशेदपुर में एसडीओ के रूप में काम करने का अनोखा अनुभव रहा. जिस वक्त जमशेदपुर में एसडीओ बना, उस वक्त वहां डीसी का पद नहीं था. इस कारण एसडीओ को पूरा प्रशासनिक काम देखना होता था. एसपी विधि व्यवस्था का काम देखते थे. मेरे समय मुझसे 15 साल सीनियर आइपीएस अधिकारी ज्योति कुमार सिन्हा एसपी थे. उनसे ताल-मेल बनाने व सीनियर जूनियर की खाई को पाटने के लिए बड़े भाई-छोटे भाई का रिश्ता बनाया. चाईबासा में डीसी बनने के बाद से परेशानी शुरू हुई.

स्कीम के मुद्दे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद से झड़प हो गयी. उन्होंने नाराज होकर मुझे निलंबित कर दिया. इसके बाद चारा घोटाला उजागर हुआ. मुझे लालू प्रसाद के खिलाफ बयान देने को कहा गया. इनकार करने पर मुझे ही अभियुक्त बना दिया गया. इसके बाद करीब एक साल तक अंडर ग्राउंड रहा. डेढ़ साल जेल में रहा. तीन साल सस्पेंड रहा. इसके बाद झारखंड में परिवहन सचिव बना. ढेरों परमिट दिये, ताकि बसों की संख्या बढ़े और यात्रियों को परेशानी न हो. सर्ड में पदस्थापन के दौरान एनके मिश्रा से झगड़ा हो गया. नागर विमानन में काम करने के दौरान हेलीकॉप्टर खरीद मामले में सरकार से मतभेद रहा. मैं हेलीकॉप्टर खरीदने के पक्ष में रहा. सरकार किराये के हेलीकॉप्टर के पक्ष में रही. मुख्य सचिव के वेतनमान में प्रोन्नत होने के बाद मुख्य सचिव बना. औचक निरीक्षण कर प्रशासनिक तंत्र को सजग किया,लेकिन मुझे एक-डेढ़ माह में ही हटा दिया गया. एक माह के बाद फिर से मुख्य सचिव बनाया गया. शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराया. सरकार बदली और मैं भी बदल गया.

अब बनेंगे रिपोर्टर
श्री चक्रवर्ती ने कहा कि 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो जायेंगे. शुरू से इच्छा थी कि कुछ लिखने-पढ़ने का काम करूं. कभी-कभी कुछ किया भी है. कुछ अच्छे मित्र मेरे रिपोर्टर रहे हैं. मैं भी लिखने-पढ़ने का काम करूंगा. किसी न्यूज पेपर के साथ मिल कर रिपोर्टिंग का काम करूंगा. इससे खुद को एक्टिव रखने में मदद मिलेगी.

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