रांची : शहर के ज्यादातर तालाबों में सिवरेज का पानी जा रहा है. तालाबों के आस-पास की जगह शौचालय में तब्दील हो गयी है. नदी के पानी में शौच की टंकियां बहायी जा रही हैं. शहर के कई तालाबों में स्नान करने का मतलब बीमारियों को न्योता देना है. तालाबों का पानी सूख रहा है. उनका अतिक्रमण किया जा रहा है.
तालाब गायब हो रहे हैं
आरआरडीए द्वारा किये गये सर्वे के मुताबिक रांची और आसपास के 40 गांवों में स्थित 81 में से 78 तालाबों की स्थिति दयनीय है. शहरी क्षेत्र में लगभग डेढ़ दर्जन तालाब तो गायब हो गये हैं. इन तालाबों को जमीन दलालों ने भर कर बेच दिया है. जहां तालाब होते थे, वहां अब इमारतें बना दी गयी हैं.
केवल चार तालाबों की स्थिति अच्छी : शहर के आसपास स्थित तालाबों में से केवल चार की हालत अच्छी है. आरआरडीए की सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि रांची के हटनिया तालाब, टाटीसिलवे के टाटी गांव स्थित तालाब, एयरपोर्ट के पीछे स्थित हुंडरू गांव व सपारोम गांव में स्थित तालाबों की स्थिति ही ठीक कही जा सकती है.
इन तालाबों में जाता है नाली का पानी
रांची लेक (बड़ा तालाब), छोटा टैंक, मधुकम बस्ती टैंक, लाइन टैंक, कमला टैंक, हटिया टैंक चुटिया, मिसिरगोंदा बस्ती टैंक, हातमा बस्ती टैंक, सुकुरहुटू टैंक, दिव्यायन के नजदीक स्थित मोरहाबादी टैंक, करमटोली टैंक, एफसीआइ कडरू स्थित तालाब, पुंदाग स्थित टैंक, अरगोड़ा बस्ती स्थित तालाब, ललगुटवा बस्ती टैंक, जेपी मार्केट धुर्वा स्थित टैंक, बटम तालाब, डोरंडा माजार स्थित तालाब, चुटिया पावर हाउस के समीप स्थित तालाब.