सीबीएम दक्षिण एशिया के कार्यक्रम पदाधिकारी का दौरा, वंचितों की भागीदारी के बिना विकास बेमानी
रांची: समावेशी विकास की परिकल्पना वंचित समूहों की भागीदारी के बिना संभव नहीं है़ नि:शक्त, एकल महिला व वृद्ध सबसे उपेक्षित समूह है़ं वे अपनी सीमित जानकारी व पहुंच की कमी के कारण सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं. इन वर्गों के समावेश के लिए छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ का प्रयास सराहनीय है़. उक्त […]
रांची: समावेशी विकास की परिकल्पना वंचित समूहों की भागीदारी के बिना संभव नहीं है़ नि:शक्त, एकल महिला व वृद्ध सबसे उपेक्षित समूह है़ं वे अपनी सीमित जानकारी व पहुंच की कमी के कारण सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं. इन वर्गों के समावेश के लिए छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ का प्रयास सराहनीय है़.
उक्त बातें क्रिस्टोफर ब्लाइंडेन मिशन (सीबीएम) के दक्षिण एशिया कार्यक्रम पदाधिकारी नीरद बाग ने संस्था द्वारा चलाये जा रहे समुदाय अधारित पुनर्वास कार्यक्रम के अवलोकन के दौरान कही़ सीबीएम के तीन सदस्यीय दल ने रांची कार्यालय, बेड़ो के दिघिया चट्टी टोली व खुखरा गांव का भ्रमण किया़ नि:शक्ततों के समावेशी समूह द्वारा गांव की स्थिति, अबतक के प्रयास और अगामी तीन वर्षों की योजना का प्रारूप प्रस्तुत किया गया़.
नि:शक्ततों ने मनरेगा के तहत काम नहीं मिलने, बीपीएल सूची में नाम नहीं होने, मुद्रा लोन में विलंब, नि:शक्तता पेंशन समय पर नहीं मिलने आदि समस्याओं की जानकारी दी़ संस्था ने शारीरिक पुनर्वास कार्यक्रम पर और बल देने का निर्णय लिया है़ इस अवसर पर नवभारत जागृति केंद्र के मंयक भूषण व छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ के राहुल मेहता भी मौजूद थे़