बरबाद हो रहे हैं आठ करोड़ के दो भवन
रांची : कृषि विभाग की लापरवाही की वजह से हेहल (इटीसी) में किसानों के लिए करीब आठ करोड़ रुपये की लागत से बने दो विशाल भवन बरबाद हो रहे हैं. दोनों भवन दो साल पूर्व ही बन कर तैयार हो गये थे़ सुरक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण भवनों में लगे कीमती शीशों को […]
रांची : कृषि विभाग की लापरवाही की वजह से हेहल (इटीसी) में किसानों के लिए करीब आठ करोड़ रुपये की लागत से बने दो विशाल भवन बरबाद हो रहे हैं. दोनों भवन दो साल पूर्व ही बन कर तैयार हो गये थे़ सुरक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण भवनों में लगे कीमती शीशों को शरारती तत्वों ने तोड़ दिया है. 20 खिड़कियां उखाड़ ली गयी है. मुख्य दरवाजे को क्षतिग्रस्त किया जा रहा है. खिड़की में लगे लोहे के ग्रिल को काटा जा रहा है.
चोरों की नजर बिल्डिंग के अंदर लगे सामानों पर है. सबसे दिलचस्प बात है कि बिना इस्तेमाल के ही इन भवनों के मेंटेनेंस पर सरकार को राशि खर्च करनी पड़ेगी. उक्त भवनों का इस्तेमाल नहीं होने से किसानों के प्रशिक्षण से लेकर सारा काम प्रभावित हो रहा है.
भवन नशाखोरों और जुआरियों का अड्डा बना
अब यह जगह नशाखोरों का मुख्य अड्डा बन गया है. भवन के प्रवेश द्वार के सामने शराब, गांजा व सिगरेट का दौर चलते रहता है. अब जुआरियों का भी यहां आना-जाना शुरू हो गया है. इससे यहां अपराध बढ़ने का भी खतरा है.
रोज देख रहे कर्मी पर कुछ करते नहीं
उक्त दोनों भवनों के सामने ही कृषि प्रसार प्रशिक्षण केंद्र का प्रशासनिक भवन है. इसमें रोज कर्मचारी-अधिकारी बैठते हैं. वे अपने विभाग के दोनों भवनों की दशा भी देखते हैं, पर कार्रवाई नहीं करते. सरकारी संपत्ति को नष्ट होता देख रहे हैं.
क्या-क्या बना है यहां
एक भवन विस्तारित कृषि प्रशिक्षण केंद्र का छात्रावास है. यहां किसानों के रहने की बेहतर व्यवस्था की गयी है. इसका शिलान्यास 24 मार्च 2012 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने किया था. 2014 में इसका निर्माण हो गया. तब से यह भवन ऐसे ही पड़ा है. उक्त भवन का निर्माण कृषि विभाग ने भवन निर्माण विभाग के माध्यम से करीब 4.5 करोड़ रुपये की लागत से करवाया था.
दूसरे भवन किसान विद्यापीठ है. इस भवन के निर्माण पर करीब 3.5 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. बनने के बाद से यह भवन खुला नहीं है. इसके आसपास झाड़ियां उग आयी है. उक्त भवन को भी कृषि विभाग ने भवन विभाग के माध्यम से बनवाया था.