इस्पात की मांग में हो रही बढ़ोतरी : मोहंती
रांची : वर्तमान में विश्वव्यापी मंदी व चीन से आनेवाले सस्ते इस्पात के चलते इस्पात उद्योग काफी कठिन परिस्थित से गुजर रहा है. हालांकि देश की विकास दर में प्रगति के साथ इस्पात की मांग में बढ़त देखी जा रही है. उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के कारण 89.6 मिलियन टन कच्चे इस्पात उत्पादन के साथ […]
रांची : वर्तमान में विश्वव्यापी मंदी व चीन से आनेवाले सस्ते इस्पात के चलते इस्पात उद्योग काफी कठिन परिस्थित से गुजर रहा है. हालांकि देश की विकास दर में प्रगति के साथ इस्पात की मांग में बढ़त देखी जा रही है. उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के कारण 89.6 मिलियन टन कच्चे इस्पात उत्पादन के साथ भारत आज विश्व का तीसरा बड़ा उत्पादक देश बन गया है.
बुनियादी ढ़ांचे व ऑटो मोबाइल के क्षेत्र में तेज विकास की वजह से 2025 तक भारत में इस्पात की खपत 300 मिलियन टन तक बढ़ने की संभावना है. उक्त बातें सेल के तकनीकी निदेशक एसएस मोहंती ने कही.
वे गुरुवार को सेल में उद्योगों में वर्तमान एवं उभरती हुई तकनीक (क्रेस्ट-2016) विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि विश्व में इस्पात की खपत के रुझान को देखते हुए सेल निकट भविष्य में अपनी उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी करते हुए 21.4 मिलियन टन कच्चे इस्पात के उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने जा रहा है. इसके लिए सेल 70,000 करोड़ रुपया खर्च कर रहा है. वर्तमान में 14 मिलियन टन उत्पादन क्षमता के साथ सेल का मार्केट में 16 प्रतिशत हिस्सा है. 2025 तक सेल का 45 मिलियन टन कच्चे इस्पात के उत्पादन का लक्ष्य है.
कार्यपालक निदेशक, आरडीसीआइएस डाॅ बीके झा ने कहा कि इस्पात उद्योग में बेहतर तकनीक की आवश्यकता है. क्रेस्ट-2016 में इस्पात उद्योगों के विशेषज्ञों व विभिन्न टेक्नॉलोजी सेवा देने वाली कंपनियों के विशेषज्ञ मिल कर इस्पात उद्योग के विकास का रोडमैप तैयार करें.सेमिनार में एसआर सेनगुप्ता तकनीकी निदेशक, मेकन, एस पाठक उपाध्यक्ष, स्टील मैंनुफैक्चरिंग, टाटा स्टील, डाॅ एके चट्टोपाध्याय प्रबंध निदेशक, नेशनल वांटेज रिफैक्टरी टेक्नॉलोजी) व आयोजन समिति के अध्यक्ष डाॅ रमन दत्ता ने भी विचार रखे.