पूंजीवादी ताकतें जीविका के साधनों को खत्म कर रही : वृंदा करात

पूंजीवादी ताकतें जीविका के साधनों को खत्म कर रही : वृंदा करातआदिवासी अधिकार मंच की ओर छोटानागपुर शिक्षण शिविर का आयोजनसंवाददाता, रांची. माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य अौर आदिवासी अधिकार मंच की राष्ट्रीय प्रभारी वृंदा करात ने कहा है कि उदारीकरण की नीति का सबसे बड़ा हमला जमीन, खनिज और जंगल पर हो रहा है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 12:00 AM

पूंजीवादी ताकतें जीविका के साधनों को खत्म कर रही : वृंदा करातआदिवासी अधिकार मंच की ओर छोटानागपुर शिक्षण शिविर का आयोजनसंवाददाता, रांची. माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य अौर आदिवासी अधिकार मंच की राष्ट्रीय प्रभारी वृंदा करात ने कहा है कि उदारीकरण की नीति का सबसे बड़ा हमला जमीन, खनिज और जंगल पर हो रहा है. पूंजीवादी ताकतें जीविका के साधनों को खत्म कर रही है. आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद आदिवासियों को बांटने का काम कर रहे हैं. वे जाति आधारित राजनीति कर रहे हैं. सरना को हिंदू बनाने की साजिश चल रही है. साथ ही सरना, ईसाई जैसे कार्ड भी खेले जा रहे हैं. वृंदा करात शुक्रवार को एचआरडीसी सभागार में आयोजित छोटानागपुर शिक्षण शिविर में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रही थीं. शिविर का आयोजन आदिवासी अधिकार मंच के तत्वावधान में किया गया. वृंदा करात ने कहा कि आदिवासी अधिकार मंच का गठन ऐसी ही परिस्थिति में हुआ है. उन्होंने कहा कि झारखंड में विभिन्न संगठन अौर पार्टियां आदिवासियों के बीच कार्य कर रही हैं, ऐसे में देखना होगा कि हम इनके बीच कहां पर खड़े हैं. उन्होंने कहा कि संगठन को मजबूत करना जरूरी है. दूसरी वक्ता सेंटर फॉर ट्राइबल रिसर्च एंड डेवलपमेंट की स्मिता गुप्ता ने पांचवी अनुसूची, पेसा सहित अन्य बातों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पेसा लागू करने व ग्राम सभा को अधिकार देने के प्रति सरकार गंभीर नहीं है. उन्होंने कहा कि झारखंड पांचवीं अनुसूची का क्षेत्र है, पर इसके प्रावधानों को सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है. ट्राइबल सबप्लान की राशि ग्राम सभा को नहीं मिल पा रही है. इनका इस्तेमाल हाइवे बनाने सहित अन्य कार्यों में किया जा रहा है. मंच के सचिव प्रफुल्ल लिंडा ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर में लोहरदगा, गुमला, खूंटी, बोकारो सहित अन्य क्षेत्रों के कार्यकर्ताअों को आदिवासियों अौर झारखंड से जुड़े विभिन्न मुद्दों की जानकारी दी जा रही है. इसके जरिये कार्यकर्ताअों को वैचारिक और राजनीतिक रूप से सशक्त किया जा रहा है.

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