डस्टिलरी नाला को बना दिया सूखा खेत
डिस्टलरी नाला को बना दिया सूखा खेतपरेशानी़ डिस्टलरी नाला के सूखने से आसपास के इलाके में जलसंकट तसवीर अमित दास कीसंवाददाता, रांची कोकर के बीचोंबीच से गुजरने वाले डिस्टलरी नाला को सूखा खेत बना दिया गया है. स्थानीय लोगों द्वारा अतिक्रमित करने के बाद बच गये डिस्टलरी नाले पर अब रांची नगर निगम ने पार्क […]
डिस्टलरी नाला को बना दिया सूखा खेतपरेशानी़ डिस्टलरी नाला के सूखने से आसपास के इलाके में जलसंकट तसवीर अमित दास कीसंवाददाता, रांची कोकर के बीचोंबीच से गुजरने वाले डिस्टलरी नाला को सूखा खेत बना दिया गया है. स्थानीय लोगों द्वारा अतिक्रमित करने के बाद बच गये डिस्टलरी नाले पर अब रांची नगर निगम ने पार्क निर्माण की योजना बनायी है. पार्क निर्माण के लिए नगर निगम ने डिस्टलरी नाले का बचा-खुचा पानी भी सूखा दिया है. डिस्टलरी नाले के सूखने का असर आसपास के क्षेत्रों में साफ दिख रहा है. शांति नगर, भाभा नगर, चूना भट्ठा समेत कई क्षेत्रों में एक भी कुआं का पानी नहीं बचा है. मोहल्लाें के घरों के बोरिंग सूख गये हैं. पूरे क्षेत्र में जल संकट की गंभीर स्थिति पैदा हो गयी है. यहां यह उल्लेखनीय है कि एक तरफ जहां डिस्टलरी नाला पर नगर निगम द्वारा पार्क का निर्माण किया जा रहा है, तो दूसरी अोर राज्य सरकार जल संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपये प्रति वर्ष खर्च कर रही है. सरकार द्वारा जल संरक्षण के लिए चेकडैम से लेकर डोभा बांध का निर्माण किया जा रहा है. मालूम हो कि डिस्टलरी नाले का पानी कई जगहों से गुजर कर स्वर्णरखा नदी में मिलता था. उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघनझारखंड उच्च न्यायालय ने किसी भी तरह के वाटर बॉडी (नदी, तालाब या नाला) से छेड़छाड़ प्रतिबंधित किया है. वर्ष 2004 में दिये गये आदेश में न्यायालय ने वाटर बॉडी को भर कर उस पर किसी भी तरह निर्माण वर्जित किया है. वाटर बॉडी का अतिक्रमण भी दंडनीय कहा गया है. नगर निगम के दो स्टैंडडिस्टलरी नाला पर रांची नगर निगम के दो स्टैंड हैं. निगम ने वर्ष 2010 में डिस्टलरी नाला पर मल्टीस्टोरेज मार्केट के निर्माण की योजना बनायी थी. हालांकि, उस समय योजना को यह कह कर मंजूरी नहीं दी गयी कि कि किसी भी प्रकार के वाटर बॉडी पर कोई पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता है. परंतु, आश्चर्यजनक रूप से नगर निगम द्वारा ही इस तालाब पर पार्क निर्माण की योजना को स्वीकृति दे दी गयी है. 1928 में डैम के रूप में किया गया था निर्माणडिस्टलरी नाला को वर्ष 1928 में डैम का शक्ल दिया गया था. 1925 के अासपास राय साहब लक्ष्मी नारायण जायसवाल समेत कोकर के कई लोगों ने जमीन दान कर इसका निर्माण कराया था. उस समय इसे जमुनिया ढोरा कहा जाता था. इस पर पानी नदी की तरह बहती थी. डिस्टलरी नाले पर डैम बना कर पानी रोकने की कोशिश की गयी थी. ढोरा निर्माण का मकसद लोगों को आवश्यकतानुरूप पानी उपलब्ध कराना था. शुरुआती कई सालों तक लोग ढोरा के पानी का उपयोग नहाने और कपड़े धाेने के लिए करते रहे थे. वर्ष 2008 तक इस पर छठ पर्व का आयोजन भी होता था. सिरिज में बनाये गये थे दो डैमइस तालाब में जल संरक्षण के लिए दो डैम का निर्माण किया गया था. एक लोअर डैम और एक अपर डैम था. लोअर डैम का गेट हजारीबाग रोड से सटा हुआ था. जबकि अपर डैम का गेट तालाब के ऊपर की ओर बनाया हुअा था. वर्तमान में लोअर डैम का गेट अभी भी अस्तित्व में है, जबकि अपर डैम के लिए बनायी गयी दीवार को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है.