वैधानिकता का सवाल अदालत करेगी तय

वैधानिकता का सवाल अदालत करेगी तयसुभाष कश्यप, संविधानविदसभी राज्यों को अपनी स्थानीय नीति बनाने का अधिकार हासिल है, लेकिन राज्य की बनायी गयी नीति संविधान के दायरे में होनी चाहिए. अगर इस नीति के खिलाफ लोगों को आपत्ति है, तो वे अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं. अगर अदालत इन नीति को संविधान सम्मत नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 12:00 AM

वैधानिकता का सवाल अदालत करेगी तयसुभाष कश्यप, संविधानविदसभी राज्यों को अपनी स्थानीय नीति बनाने का अधिकार हासिल है, लेकिन राज्य की बनायी गयी नीति संविधान के दायरे में होनी चाहिए. अगर इस नीति के खिलाफ लोगों को आपत्ति है, तो वे अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं. अगर अदालत इन नीति को संविधान सम्मत नहीं मानेगी, तो उसे रद्द करना पड़ेगा. झारखंड में कुछ इलाके शिड्यूल क्षेत्र में आते हैं और इन इलाके के लोगों को संविधान के तहत विशेष छूट दी गयी है. सरकार ने स्थानीय नीति में इस इलाके के लोगों को कुछ विशेष सुविधाएं दी हैं. आदिवासी लोगों की सुरक्षा के लिए ऐसा प्रावधान संविधान में किया गया है. ऐसे में झारखंड सरकार को स्थानीय नीति में इन लोगों को विशेष सहूलियत देनी ही थी, लेकिन देश में नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मिले अधिकार और स्थानीय नीति के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. अगर ऐसा हुआ तो स्थानीय नीति संविधान के पैमाने पर खरा नहीं उतर पायेगी. झारखंड में स्थानीय नीति को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है. 2002 में सरकार द्वारा बनायी गयी नीति को हाइकोर्ट ने निरस्त कर दिया था. कोई भी स्थानीय नीति समग्र और व्यापक होनी चाहिए, क्योंकि जम्मू-कश्मीर और उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों को छोड़ कर देश के नागरिकों को कहीं भी जाकर काम करने और संपत्ति का अधिकार हासिल है. ऐसे में झारखंड की स्थानीय नीति इस पैमाने पर कितनी खरी उतरती है, यह देखनेवाली बात होगी.

Next Article

Exit mobile version