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कैंसर व किडनी संबंधी गंभीर रोग से पीड़ित हैं पुलिसकर्मी, कल्याण कोष से नहीं मिल रही मदद

रांची: झारखंड पुलिस के कल्याण कोष में 2.50 करोड़ से अधिक रुपये जमा हैं. इस पैसे में से जवानों को इलाज के लिए राशि नहीं दी जा रही है. पिछले हफ्ते भी इसे लेकर बैठक हुई थी. कल्याण कोष के फंड के इस्तेमाल को लेकर डीजीपी और पुलिस के दोनों एसोसिएशन के पदाधिकारियों के बीच […]

रांची: झारखंड पुलिस के कल्याण कोष में 2.50 करोड़ से अधिक रुपये जमा हैं. इस पैसे में से जवानों को इलाज के लिए राशि नहीं दी जा रही है. पिछले हफ्ते भी इसे लेकर बैठक हुई थी. कल्याण कोष के फंड के इस्तेमाल को लेकर डीजीपी और पुलिस के दोनों एसोसिएशन के पदाधिकारियों के बीच हुए मतभेद के बाद कोई फैसला नहीं हो पाया. बैठक शुरू होने के कुछ देर बाद ही डीजीपी बैठक से उठ कर चले गये. जानकारी के मुताबिक रेल जिला धनबाद के चितरंजन थाना में पदस्थापित एएसआइ सुरेंद्र प्रसाद गंभीर रोग से पीड़ित हैं.

वेल्लोर स्थित अपोलो अस्पताल ने उनके इलाज पर नौ लाख रुपये के खर्च का इस्टीमेट दिया है. उन्हें पैसे की दरकार है. उनके आवेदन पर अब तक विचार नहीं हुआ है. इसी तरह सीआइडी में पदस्थापित सिपाही वीरेंद्र सिंह कैंसर रोग से पीड़ित हैं. अनुदान राशि के लिए उन्होंने पुलिस मेंस एसोसिएशन के जरिये पुलिस मुख्यालय में आवेदन दिया, पर अब तक पैसे नहीं मिले हैं. गिरिडीह जिला बल के सिपाही रंजीत सिंह की पत्नी भी गंभीर रोग से पीड़ित हैं. वेल्लोर में इलाजरत हैं, पर उन्हें भी पैसे देने पर विचार नहीं किया जा रहा है.

10 दिन पहले मौत हो गयी अमृत लाल की
गुमला जिला बल के सिपाही अमृत लाल की मौत करीब 10 दिन पहले हो गयी. दो माह पहले हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में उन्हें अनुदान राशि देने का फैसला हुआ था. इसके बाद कल्याण कोष समिति की बैठक लंबे समय तक नहीं हुई. इस कारण पुलिस मुख्यालय से अनुदान की राशि देने का पत्र गुमला एसपी कार्यालय को पहुंचा ही नहीं और अमृत लाल को इलाज के लिए पैसा नहीं मिला. अंतत: उनकी मौत हो गयी.
क्या है कल्याण कोष : पुलिसकर्मी या उनके परिजनों को बीमारी के वक्त इलाज के लिए आर्थिक मदद देने के उद्देश्य से कल्याण कोष बनाया गया है. हर पुलिसकर्मी (सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक) के वेतन से हर माह 50 रुपये इस फंड में जमा किया जाता है. हर माह करीब 30 लाख रुपये जमा होते हैं. जरूरतमंद पुलिसकर्मी पुलिस मुख्यालय या एसोसिएशन के जरिये आवेदन देते हैं. डीजीपी की अध्यक्षता में गठित कमेटी बीमारी पर होनेवाले खर्च को देखते हुए अनुदान की राशि तय करती है.

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