रांची: एक अनाथ महिला रांची रेलवे स्टेशन पर घायल या बीमार थी. मिशनरीज अॉफ चैरिटी (निर्मल हृदय) की बहनों ने उस बीमार अनाथ महिला को सदर अस्पताल पहुंचाया. वह ठीक हुई, तो जेल रोड स्थित निर्मल हृदय में उसे जगह दी. वह फिर बीमार पड़ी, तो उसे संत बरनाबास अस्पताल में भरती कराया. पर अबकी बार वह महिला जिसका नाम फूलो देवी था, ठीक नहीं हो सकी. सोमवार 11 अप्रैल को उसका देहांत हो गया.
सिस्टर्स जानती थीं कि करीब 45 वर्षीय यह महिला हिंदू थी. मौत के बाद सिस्टर्स ने फूलो को ऐसे ही नहीं छोड़ा. उसके अंतिम संस्कार की जिम्मेवारी ली. फूलो ने बताया था कि उसका 12-14 वर्ष का एक बेटा है, जो किसी होटल में काम करता है. सोमवार की सुबह उसकी मौत के बाद मिशनरीज अॉफ चैरिटी की बहनों ने उसके बेटे को खोजना शुरू किया.
टेंपो वाले व कई अन्य लोगों का सहारा लिया गया. अाखिरकार अपनी मां को अाग देने के लिए उसका बेटा (राजेश) मिल गया. फूलो की बॉडी व उसके बेटे को लेकर निर्मल हृदय की दो बहनें दोपहर बाद हरमू स्थित मुक्तिधाम पहुंची. आग देने से पहले राजेश निर्विकार था अौर चुप भी. पर उसकी मृत मां को अपने बेटे के सान्निध्य का अहसास जरूर रहा होगा. इधर सिस्टर्स फूलों के अंतिम संस्कार में वहां मौजूद रहीं. चिता के पास तक गयीं. फूलो को श्रद्धांजलि दी. इस नेक कार्य में गैर सरकारी संस्था सृजन हेल्प के अशोक कुमार अग्रवाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही. श्री अग्रवाल, बसंत मित्तल व सीताराम शर्मा ने लकड़ी व अन्य सामग्रियों की व्यवस्था की.
सिस्टर्स ने कहा कि ऐसे काम में वे श्री अग्रवाल व उनकी संस्था का सहयोग लेती हैं. इधर किसी अन्य के संस्कार में पहुंचे लोग भी फूलो की विदाई में शामिल हुए. चिता सजायी व श्रद्धांजलि दी. फूलो थी तो अनाथ, पर जाते वक्त उसे कई लोगों का
साथ मिला.