11 साल में भी नहीं बना रिंग रोड, तीन फेज का काम लटका
रांची : रांची रिंग रोड का काम 11 वर्षों में भी पूरा नहीं हुआ. अभी तक रांची रिंग रोड के चार फेज का ही छह लेन का काम हो सका है. तीन फेज का काम लटका हुआ है. इन तीन फेज के काम में अभी भी और तीन साल लगने का अनुमान है. इस तरह […]
रांची : रांची रिंग रोड का काम 11 वर्षों में भी पूरा नहीं हुआ. अभी तक रांची रिंग रोड के चार फेज का ही छह लेन का काम हो सका है. तीन फेज का काम लटका हुआ है. इन तीन फेज के काम में अभी भी और तीन साल लगने का अनुमान है. इस तरह रिंग रोड की पूरी परियोजना 14 साल में तैयार हो पायेगी.
इस परियोजना की शुरुआत 2005 में ही हुई थी. सबसे पहले जिस रिंग रोड फेज एक का काम शुरू किया गया था, अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब सबसे बाद में इसी फेज का काम खत्म होगा. ऐसे में लोगों को अभी और तीन साल तक झेलना होगा. वाहनों को इतने दिनों तक शहर के अंदर घुसना ही होगा. जाम की समस्या वैसी ही रहेगी.
मधु कोड़ा की सरकार से रघुवर तक पहुंचा मामला : रिंग रोड फेज सात का काम मधु कोड़ा सरकार के कार्यकाल में शुरू हुआ था. इसके बाद शिबू सोरेन, अर्जुन मुंडा, हेमंत सोरेन की सरकारें आयी-गयी. वहीं राष्ट्रपति शासन भी लगा. अंत में रघुवर सरकार आयी. पर इसका काम नहीं हुआ. इसका काम कर रही एजेंसी श्रीनेत सांडिल्य व सोमदत्त बिल्डर्स को टर्मिनेट भी किया गया, पर काम पूरा नहीं हुआ.
फेज छह व सात बनायेगा एनएचएआइ : फेज छह व सात यानी विकास से रामपुर तक का काम एनएचएआइ अपने रांची-महुलिया सड़क चौड़ीकरण की योजना के तहत बना रहा है. एनएचएआइ ने इस सड़क पर काम नहीं किया था. अभी पूरा काम बचा हुआ है. एनएचएआइ के अफसरों का कहना है कि जमीन की समस्या का हल निकाल लिया गया है. अब इस पर काम होगा.
रिंग रोड नहीं बनने से क्या है नुकसान
भारी वाहनों के हर दिन कई घंटे बरबाद हो रहे हैं. सुबह आठ बजे से लेकर रात 10 बजे तक रांची शहर में नो इंट्री होने के कारण वाहनों के प्रवेश पर रोक होती है. नतीजतन ट्रक वाले शहर के बाहर गाड़ियां खड़ा करके रात 10 बजने का इंतजार करते हैं.
एनएच 33 (रामगढ़ मार्ग) से गाड़ियों को एनएच 23 (गुमला मार्ग), एनएच 75 ए चाईबासा मार्ग, एनएच 33 (टाटा मार्ग) या एनएच 75 (डालटनगंज मार्ग) जाने के लिए शहर के अंदर से होकर गुजरना पड़ रहा है.
रात 10 बजे इंट्री के बाद भी वाहन चालकों को जाम में फंसना पड़ रहा है.
क्या हुआ फेज सात का : फेज सात यानी कांठीटांड़ से विकास तक का काम अब जाकर एजेंसी जेआरपीआइसीएल को दी गयी है. इस पर काम शुरू किया गया है. पूरा काम बाकी है. विभाग का दावा है कि दो से ढाई साल में प्रोजेक्ट तैयार हो जायेगा.