रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के कई विभाग की चिकित्सा व्यवस्था प्रबंधन के लिए भी चुनौती बनी हुई है़ रिम्स के शिशु विभाग की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है़ शिशु विभाग के न्यू बार्न यूनिट की बात करें, तो वहां एक बेड पर छह से सात बच्चों का इलाज होता है़ एक साथ इतने बच्चों का इलाज होने पर बच्चों के संक्रमित होने का खतरा रहता है, क्योंकि बच्चे अलग-अलग बीमारी से पीड़ित रहते है़ं ऐसी स्थिति में तो बच्चों के जान पर भी संकट हो सकता है़ .
क्यों है परेशानी : रिम्स के शिशु विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें, तो प्रसव के बाद बच्चों को समस्या होने पर यहां भरती किया जाता है़ एसएनसीयू का बेड भरा रहता है़ निजी अस्पतालों से बीमार न्यू बॉर्न बच्चे रिम्स में आ जाते हैं, इसलिए बेड की समस्या हो जाती है़ रिम्स में निजी अस्पतालों से भी आनेवाले मरीजों को लौटाया नहीं जा सकता है, इसलिए बेड की समस्या हो जाती है़