मछली पालन को मिला कृषि का दरजा

रांची: देश में झारखंड को मछली उत्पादन में अग्रणी आैर आत्मनिर्भर बनाने के लिए मछलीपालन को कृषि का दरजा दिया गया है. यह महत्वपूर्ण कदम राज्य सरकार ने उठाया है. सरकार की अोर से कहा गया कि राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा मत्स्य पालकों को कृषक की श्रेणी में रखा गया है. मछलीपालन मूल रूप से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 18, 2016 1:00 AM
रांची: देश में झारखंड को मछली उत्पादन में अग्रणी आैर आत्मनिर्भर बनाने के लिए मछलीपालन को कृषि का दरजा दिया गया है. यह महत्वपूर्ण कदम राज्य सरकार ने उठाया है. सरकार की अोर से कहा गया कि राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा मत्स्य पालकों को कृषक की श्रेणी में रखा गया है.
मछलीपालन मूल रूप से कृषि का ही एक अंग है. कृषि क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद के निर्धारण में मत्स्य पालन से प्राप्त आय को भी जोड़ा जाता है. वैसी परिस्थिति में मछलीपालन को कृषि का दरजा दिया जाना उचित होगा. सरकार के फैसले के बाद कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने मछलीपालन को कृषि का दरजा देने संबंधी संकल्प जारी कर दिया है. कृषि का दरजा मिल जाने से वह सारी सुविधाएं मछली पालकों को भी मिलेंगी, जो कृषि क्षेत्र में दी जाती है. उल्लेखनीय है कि राज्य में एक लाख मीट्रिक टन से अधिक का मछली उत्पादन किया जा रहा है. इसका बाजार मूल्य करीब 1000 करोड़ रुपये से अधिक है.
क्यों मिला कृषि का दरजा
राज्य में लगभग 1,15,000 हेक्टेयर जल क्षेत्र में कई जलाशय है. जलाशयों का अधिकतम उपयोग करने के लिए संचयन आधारित मात्स्यिकी आैर केज कल्चर तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. मत्स्य उत्पादन में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार कृषकों को मत्स्य आहार आधारित मात्स्यिकी की अोर उन्मुख करने का प्रयास कर रही है. इसके लिए मछली पालकों को रियायत व संस्थागत पूंजी निवेश की जरूरत है. इस बाबत मछलीपालन को कृषि का दरजा देना जरूरी था.
क्या-क्या मिलेंगी सुविधाएं
मछली पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड, बैंक से कृषि दर पर ऋण की सुविधा एवं कृषि सदृश्य न्यून प्रीमियम दर पर बीमा का लाभ प्राप्त हो सकेगा. मछली पालकों/संबद्ध कारखानाें/प्रसंस्करण इकाइयों को कृषि दर पर बिजली की आपूर्ति होगी. मछलीपालन व मत्स्य उत्पादन की सहायक इकाई जैसे मत्स्य आहार उत्पादन के लिए मिल व मत्स्य प्रसंस्करण के लिए उपकरणों पर कृषि सदृश्य कर देय होगा. मत्स्य प्रक्षेत्र को संस्थागत निवेश हेतु प्राथमिकता क्षेत्र घोषित कर वित्तीय संस्थाअों को अधिक-से-अधिक ऋण/निवेश करने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा. राज्य सरकार द्वारा उपरोक्त सुविधाअों को उपलब्ध कराने के लिए सभी संबंधित विभागों को 30 दिन के अंदर अपने स्तर पर अपेक्षित आदेश निर्गत करने का निर्देश दिया गया है. 11 फरवरी को 2016 को कैबिनेट ने फैसला लिया था.
झारखंड के 60% से अधिक लोगों की पसंद है मछली
राज्य की कुल आबादी का 60 प्रतिशत से अधिक अर्थात लगभग दो करोड़ से अधिक लोग आहार के रूप में मछली पसंद है. राज्य के जल क्षेत्रों में परंपरागत मछली पालन को अब धीरे-धीरे वैज्ञानिक तरीके से मछलीपालन की अोर उन्मुख किया जा रहा है. इसके लिए मछली की प्रजाति में बदलाव किया गया है.

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