रिमांड होम में 88 में से मानसिक रूप से बीमार हैं 27 लड़कियां
अजय दयाल, रांची राजधानी में बाल अपराधियों के लिए दो रिमांड होम है़ उनमें एक नाबालिग लड़कियों तथा दूसरा किशोर अपराधियाें के लिए है़ लड़कियों का रिमांड होम नामकुम तथा किशोर का रिमांड होम, डुमरदगा(बूटी मोड़ के आगे) है़ दोनों जगहों पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है़ नामकुम स्थित रिमांड होम में 88 नाबालिग लड़कियां […]
अजय दयाल, रांची
राजधानी में बाल अपराधियों के लिए दो रिमांड होम है़ उनमें एक नाबालिग लड़कियों तथा दूसरा किशोर अपराधियाें के लिए है़ लड़कियों का रिमांड होम नामकुम तथा किशोर का रिमांड होम, डुमरदगा(बूटी मोड़ के आगे) है़ दोनों जगहों पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है़ नामकुम स्थित रिमांड होम में 88 नाबालिग लड़कियां है़ उनमें से 27 मानसिक रूप से बीमार है़ं बाल संरक्षण आयोग ने मानसिक रूप से बीमार लड़कियों का रिनपास से मिल कर इलाज कराने को कहा है, लेकिन अब तक उनका इलाज शुरू नहीं किया गया है़.
कुछ लड़कियां हजारीबाग से यहां आयी है़ं वाहन की कमी के कारण जुबनाइल जस्टिस कोर्ट (जेजे कोर्ट) हजारीबाग में उनकी पेशी में भी परेशानी होती है.पांच लड़कियां अनाथ है़ं उसमें से दो लड़कियां दूसरे राज्य(महाराष्ट्र व आंध्रप्रदेश) की हैं. बाल संरक्षण आयोग ने उन पांच लड़कियां का नामांकन कस्तूरबा गांधी विद्यालय में कराने का निर्देश दिया है़
मच्छरदानी भी नहीं
रिमांड होम डुमरदगा में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है़ मच्छरदानी नहीं रहने के कारण मलेरिया और डेंगू का डर बना रहता है़ रिमांड होम में 98 किशोर है़ं सभी को एक ही ड्रेस दिया गया है, जिसके कारण वे गंदा ड्रेस पहनने को मजबूर है़ं जुबनाइल जस्टिस एक्ट के तहत छोटी-छोटी घटनाओं में छह महीना में ही जमानत देने का प्रावधान है, लेकिन दोनों रिमांड होम में कई ऐसे नाबालिग बाल अपराधी है जो डेढ़ साल से अधिक समय से वहां रह रहे है़ं.
बच्चों को दो ड्रेस, मच्छरदानी सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं की समस्या को दूर करने का आदेश समाज कल्याण पदाधिकारी को दिया गया है़ समाज कल्याण विभाग ने समस्या का शीघ्र समाधान करने की बात कही है़
डॉ मनोज कुमार, सदस्य बाल संरक्षण आयोग