नीलू ने ओड़िशा पुलिस को बताया कि वह वर्ष 2005 में नक्सली नेता अनमोल दा उर्फ समरजी के कहने पर संगठन से जुड़ी. 2015 तक सारंडा सब जोनल कमेटी के अधीन हथियारबंद व मारक दस्ते के रूप में कार्य करते हुए सारंडा समेत झारखंड-ओड़िशा सीमांत क्षेत्र के तमाम नक्सली घटनाओं में शामिल रही.
11 नवंबर 2015 को ओड़िशा की एसओजी व सीआरपीएफ की 19 बटालियन से असुरखोल पहाड़ एवं गहमी जंगल में हुई मुठभेड़ में वह शामिल थी. घटना में नक्सली मधुसूदन तोरकोट व संग्राम गागराई उर्फ बारी मारे गये थे.