केंद्र की अोर से राष्ट्रीय ब्लड नीति-2002 को प्रभावी बनाने से संबंधित जरूरी संशोधन के मुद्दे पर जवाब दाखिल करने के लिए आैर समय देने का आग्रह किया गया. राज्य सरकार की अोर से राजकीय अधिवक्ता राजेश शंकर ने पक्ष रखा. मालूम हो कि प्रार्थी अतुल गेरा ने जनहित याचिका दायर की है. प्रार्थी ने राज्य में गुणवत्तायुक्त ब्लड की उपलब्धता सुनिश्चित कराने, रक्तदान को बढ़ावा देने व ब्लड बैंकों की दयनीय स्थिति का मामला उठाते हुए सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश देने का आग्रह किया है.
Advertisement
जरूरतमंद गरीबों को हर हाल में खून देना होगा : हाइकोर्ट
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने कहा कि राज्य में जरूरतमंद गरीबों को हर हाल में खून देना होगा. उन्हें खून के लिए भटकना नहीं पड़े. ब्लड बैंकों का संचालन व्यवसाय नहीं है. झारखंड में ब्लड बैंक दुकान नहीं बन पाये. राज्य में खून की दुकानदारी नहीं चलेगी. गुणवत्तायुक्त ब्लड की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने कहा कि राज्य में जरूरतमंद गरीबों को हर हाल में खून देना होगा. उन्हें खून के लिए भटकना नहीं पड़े. ब्लड बैंकों का संचालन व्यवसाय नहीं है. झारखंड में ब्लड बैंक दुकान नहीं बन पाये. राज्य में खून की दुकानदारी नहीं चलेगी. गुणवत्तायुक्त ब्लड की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए प्रार्थी से कहा कि आप यह देखें कि देश के अन्य राज्यों में राज्य सरकारों द्वारा ब्लड बैंकों से संबंधित कोई कानून बनाया गया है या नहीं.
यदि है, तो उसे कोर्ट में प्रस्तुत करें, ताकि राज्य सरकार को जरूरी निर्देश दिया जा सके. राजकीय अधिवक्ता से भी खंडपीठ ने कहा कि यदि संभव हो, तो अलग से ब्लड नीति तैयार करने पर विचार करें, जो सशक्त व प्रभावी हो. इसमें सभी बिंदुओं को शामिल किया जाये. वहीं खंडपीठ ने केंद्र सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement