रांची विश्वविद्यालय: छात्र अब रुचि के अनुसार कर सकेंगे विषय का चयन

रांची : रांची विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर में सत्र 2016-18 से अौर कॉलेजों में स्नातक में सत्र 2016-19 से च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू किया जा रहा है. इसे लेकर गुरुवार को प्रभारी कुलपति डॉ एम रजिउद्दीन ने सभी स्नातकोत्तर विभागाध्यक्षों व डीन के साथ बैठक की. बैठक में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के आधार पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 5, 2016 1:05 AM
रांची : रांची विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर में सत्र 2016-18 से अौर कॉलेजों में स्नातक में सत्र 2016-19 से च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू किया जा रहा है. इसे लेकर गुरुवार को प्रभारी कुलपति डॉ एम रजिउद्दीन ने सभी स्नातकोत्तर विभागाध्यक्षों व डीन के साथ बैठक की.

बैठक में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के आधार पर सिलेबस बनाने पर विचार किया गया. इसके लिए बोर्ड अॉफ स्टडीज के गठन का निर्णय लिया गया. इसमें दो सदस्य बाहर के होंगे. प्रभारी कुलपति ने संबंधित अधिकारियों को पांच मई 2016 तक बोर्ड अॉफ स्टडीज का गठन करने का निर्देश दिया. ताकि 20 मई 2016 तक सिलेबस तैयार कर लेना है. बैठक में डीएसडब्ल्यू डॉ एससी गुप्ता, डीन डॉ करमा उरांव, डॉ एसएमएनपी सिंह शाही, डॉ बीएम साहु, परीक्षा नियंत्रक डॉ एके झा आदि उपस्थित थे. संत जेवियर्स कॉलेज में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू कर दिया गया है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पूरे देश के पाठ्यक्रम में एकरूपता लाने के उद्देश्य से ही सभी विवि में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने का निर्देश दिया है.
क्या है च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम
अभी विवि में जो सिस्टम लागू है, उसके तहत छात्र को केवल निर्धारित किया हुआ पाठ्यक्रम ही पढ़ना होता है. यह क्रेडिट सिस्टम अंक घंटो के हिसाब से लेक्चर्स, ट्यूटोरियल, लैब वर्क, फील्ड वर्क, आउटरीच एक्टविटी, प्रोजेक्ट वर्क, वोकेशनल ट्रेनिंग, वायवा, सेमिनार, पेपर, असाइनमेंट, प्रेजेंटेशन पर आधारित होंगे. एक ही स्ट्रीम में आने वाले कोर्स के छात्र अपने-अपने कोर्स से एक या दो विषय हटा कर अन्य कोर्स का विषय चयन कर सकेंगे. उदाहरण के तौर पर किसी छात्र ने राजनीतिशास्त्र व गणित लिया है. उसमें उसके लिए एक से अधिक च्वाइस होगी. सभी च्वाइस में क्रेडिट लाने के लिए अंक तय होंगे. इसके लिए उन्हें पढ़ाई संबंधित विभाग में जाकर करनी होगी. उसे प्रत्येक विषय में न्यूनतम अंक लाने की बाध्यता नहीं होगी.

उसे बस तय क्रेडिट अंक पूरे करने होंगे. च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के तहत पूरे छह महीने विद्यार्थियों की पढ़ाई व अन्य ज्ञानवर्धक गतिविधियों का मूल्यांकन होता रहेगा. महीने के बाद टेस्ट लिया जायेगा. विद्यार्थी कक्षा में किस तरह से पढ़ाई कर रहा है, समय-समय पर सारा मूल्यांकन होगा. इसके लिए तिथियां तय कर दी जायेंगी. अगर छात्र किसी कारणवश अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ता है, तो वो किसी अन्य संस्थान में भी नामांकन लेकर अपने बचे क्रेडिट प्राप्त कर डिग्री पूरी कर सकता है.

Next Article

Exit mobile version