राजधानी में हर वर्ष 15 हजार से अधिक बाेरिंग
रांची. राजधानी रांची का जल स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है. इस कारण कुआं व तालाबों के सूखने के बाद अब 300 फीट की बोरिंग भी सूखने लगी है. यह स्थिति भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन व बरसात के पानी का संरक्षण नहीं करने के कारण हुई है. रांची नगर निगम व बोरिंग संचालकों […]
रांची. राजधानी रांची का जल स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है. इस कारण कुआं व तालाबों के सूखने के बाद अब 300 फीट की बोरिंग भी सूखने लगी है. यह स्थिति भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन व बरसात के पानी का संरक्षण नहीं करने के कारण हुई है. रांची नगर निगम व बोरिंग संचालकों से प्राप्त आंकड़ों पर अगर गौर करें, तो हर वर्ष 15 हजार से अधिक बोरिंग केवल राजधानी में की जाती है.
वहीं कई बहुमंजिली इमारतों द्वारा 600-800 फीट गहरी डीप बोरिंग करायी जाती है. इन बोरिंगों के भी फेल होने की शिकायत निगम में पहुंच रही है. ऐसे में भूगर्भ जल के स्तर को बरकरार रखने की जरूरत है और इसका सबसे बढ़िया उपाय रेन वाटर हार्वेस्टिंग है.
ऐसा है बोरिंग का गणित : रांची नगर निगम में 30 बोरवेल मशीन निबंधित है. आम तौर पर एक बोरिंग मशीन 24 घंटे में दो सामान्य बोरिंग कर लेती है. इस प्रकार से 30 मशीन एक दिन में 60 बाेरिंग कर लेती है. एक माह में यह आंकड़ा 1800 के आस-पास होता है. वहीं साल में यह आंकड़ा 21 हजार से अधिक हो जाता है. इतनी अधिक संख्या में बोरिंग होने के कारण शहर का जल स्तर दिनों दिन नीचे चला जा रहा है.
हर घर तक पहुंचे सप्लाइ पानी, तो बनेगी बात : रांची नगर निगम क्षेत्र में ढाई लाख से अधिक मकान हैं. इन मकानों में से केवल 40 हजार मकान ऐसे हैं, जहां नगर निगम द्वारा पाइपलाइन से पानी पहुंचाया जाता है. यहां भी कभी एक घंटा, तो कभी आधा घंटा सप्लाई का पानी आता है. वहीं दो लाख से अधिक घर ऐसे हैं, जहां अब तक पाइपलाइन नहीं पहुंचाया जा सकी है. नतीजतन इन मोहल्ले के लोग पूरी तरह से चापानल, कुआं व बोरिंग पर आश्रित हैं. ऐसे में नगर निगम अगर अपने जलापूर्ति सिस्टम को दुरुस्त करे व हर घर को 24 घंटे सातों दिन पानी उपलब्ध कराये, तो बोरिंग पर रोक लग सकती है़