खरसावां में वेदांता लगायेगा स्टील प्लांट, किया एमओयू

रांची : वेदांता लिमिटेड कंपनी खरसावां में एक मिलियन टन का स्टील प्लांट लगायेगा. दो से ढाई हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा. शुक्रवार को उद्योग विभाग में वेदांता ग्रुप और उद्योग विभाग के बीच पहले चरण का एमओयू हुआ. कंपनी की ओर से सीइओ किशोर कुमार और सरकार की ओर से उद्योग निदेशक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2016 12:47 AM
रांची : वेदांता लिमिटेड कंपनी खरसावां में एक मिलियन टन का स्टील प्लांट लगायेगा. दो से ढाई हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा. शुक्रवार को उद्योग विभाग में वेदांता ग्रुप और उद्योग विभाग के बीच पहले चरण का एमओयू हुआ. कंपनी की ओर से सीइओ किशोर कुमार और सरकार की ओर से उद्योग निदेशक के रविकुमार ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया.

उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव यूपी सिंह मौके पर उपस्थित थे. श्री सिंह ने कहा कि सरकार कंपनी को प्लांट लगाने में सहयोग करेगी. कंपनी के सीइओ किशोर कुमार ने कहा कि उनकी कंपनी झारखंड में प्लांट लगाने के लिए प्रतिबद्ध है. जमीन आदि का सर्वे पहले ही कर लिया गया है.

जमीन के लिए रैयतों से हो चुकी है बात
रैयतों से भी बात हो चुकी है. छह से सात महीने में जमीन का काम हो जायेगा. 390 एकड़ जमीन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि उनकी अनुषंगी कंपनी सेसा गोवा को धोबिल में आयरन ओर मिला हुआ है, इसलिए प्लांट के लिए रॉ मेटेरियल की समस्या नहीं होगी. उन्होंने कहा कि ओड़िशा में भी प्लांट पर काम चल रहा है. झारखंड में सोना खदान की नीलामी में भी कंपनी हिस्सा लेगी. उन्होंने बताया कि मनोहरपुर में भी कंपनी प्लांट लगाने की संभावना तलाश रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड में प्लांट व‌र्ष 2020-21 तक चालू हो जाने की संभावना है. उन्होंने बताया कि करीब ढाई हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर मिलेंगे.
आर्सेलर मित्तल की अपनी समस्या है : निदेशक
आर्सेलर मित्तल की ओर से शुक्रवार को एमओयू नहीं किये जाने के बाबत उद्योग निदेशक के रविकुमार ने बताया कि उनकी अपनी कुछ समस्या है. कुछ शर्तों को लेकर उलझन है. जल्द ही यह समस्या सुलझ जायेगी. रॉ मटेरियल को लेकर भी मित्तल के पास कुछ समस्या है. अभी उनका पहले चरण का क्लीयरेंस पर्यावरण मंत्रालय के पास लंबित है. मित्तल पहले रॉ मेटेरियल सुनिश्चित करना चाहते हैं, इसके बाद ही प्लांट का काम आगे बढ़ाना चाहते हैं. भूषण पावर एंड स्टील के निदेशक आरपी गोयल ने पहले ही छह मई की तिथि को लेकर असमर्थता जतायी थी. उन्होंने एमओयू के लिए बाद में समय की मांग की है.

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