रांचीः मकर संक्रांति पर्व चौदह जनवरी को मनाया जायेगा. इस दिन शाम 7.08 बजे सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसी समय से पुण्यकाल शुरू हो जायेगा. इसका समापन बुधवार को प्रात: साढ़े सात बजे होगा. पुण्यकाल शुरू होने के साथ ही सभी शुभ कार्य शुरू हो जायेंगे. इसी दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगते हैं. आचार्य जयनारायण पांडे व डॉ सुनील बर्मन ने कहा कि इसका पुण्य काल छह घंटे पहले से मान्य होगा.
दिन के एक बजे के बाद से स्नान-दान कर भगवान की पूजा करें और इसके बाद प्रसाद ग्रहण करें. इस दिन घरों में तिल मिश्रित जल से स्नान करें. तिल से इससे हवन आदि का भी विशेष महत्व है. उन्होंने कहा कि इस दिन गंगा नदी में स्नान व दान पुण्य का विशेष महत्व है. इसलिए यदि पास में गंगा नदी न हो, तो आसपास के नदी- तालाब में स्नान कर लें. यह संभव नहीं है तो घरों में स्नान कर दान-पुण्य कर लें. दान में विशेषकर तिल, कंबल, अन्न, द्रव्य आदि का उपयोग करें. इस दिन खिचड़ी सेवन में भी हर्ज नहीं है. मिथिला पंचांग के अनुसार भी इसी दिन संक्रांति मनायी जायेगी. पं कपिलदेव मिश्र ने कहा कि रात 12 बजे से पहले संक्रांति का पुण्यकाल मिल रहा है, इसलिए इसी दिन पर्व मनाया जायेगा.
14 को मकर संक्रांति मनाना शास्त्रोचित
ज्योतिषी विनय नाथ झा के मुताबिक, 14 जनवरी को संध्या 6.45 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं. उस समय साधु-संतों का स्नान फलदायी है. धर्म शास्त्र के मुताबिक, रात 12 बजे से पहले अगर सूर्य का संक्रमण होता है, तो उसी दिन संक्रांति मनाना श्रेयस्कर है. देवी पुराण में भी इसका स्पष्ट उल्लेख है.
संक्रांति का मतलब : 12 राशि यानी मेष से मीन तक सूर्य का एक राशि से दूसरी राशियों पर संक्रमण होते रहता है. इस परिवर्तन अवधि को ही संक्रांति कहते हैं. कुल 12 संक्रांति होते हैं, जिनमें मेष, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक व मकर को पवित्र संक्रमण माना गया है.