दुविधा . प्लस टू में कॉमन सिलेबस, फिर भी जाते हैं सीबीएसइ स्कूल
झारखंड से हर साल लगभग 10 हजार विद्यार्थी आइसीएसइ बोर्ड से 10वीं की परीक्षा देते हैं, लेकिन प्लस-टू में आधे से अधिक विद्यार्थी सीबीएसइ बोर्ड की ओर अपना रुख कर लेते हैं लोग इसका कारण आइआइटी व मेडिकल जैसी प्रतियोगी परीक्षा के पाठ्यक्रम को मानते हैं.
सुनील कुमार झा4रांची
आइसीएसइ बोर्ड से 10वीं तक की पढ़ाई करने के बाद 50 फीसदी से अधिक विद्यार्थी प्लस-टू में बोर्ड छोड़ देते है़ विद्यार्थी आइसीएसइ बोर्ड की जगह सीबीएसइ से पढ़ाई को प्राथमिकता देते है़
झारखंड से प्रति वर्ष लगभग दस हजार विद्यार्थी आइसीएसइ बोर्ड से 10वीं की परीक्षा में शामिल होते है, जबकि प्लस-टू स्तर पर बोर्ड से राज्य से लगभग चार हजार विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होते है़
10वीं व 12वीं के विद्यार्थियों की संख्या में अंतर दूसरे बोर्ड में भी होता है, पर आइसीएसइ बोर्ड में यह अंतर काफी अधिक है़ इसका एक बड़ा कारण लोग आइआइटी व मेडिकल जैसी प्रतियोगी परीक्षा के पाठ्यक्रम को मानते है़ं
लोगों का मानना है कि मुख्य प्रतियोगी परीक्षा सीबीएसइ के पैटर्न व पाठ्यक्रम के आधार पर ली जाती है. अभिभावक भी प्लस-टू की पढ़ाई में सीबीएसइ स्कूल को ही प्राथमिकता देते है़
दस वर्ष तक आइसीएसइ बोर्ड में पढ़ने के बाद भी विद्यार्थियों का एक बड़ा वर्ग प्लस-टू की पढ़ाई के सीबीएसइ स्कूलों को प्राथमिकता देता है. राजधानी के अधिकांश आइसीएसइ स्कूलों में 10वीं के टाॅपर विद्यार्थी भी प्लस-टू के लिए विद्यालय में नामांकन नहीं लेते हैं. राजधानी के कुछ सीबीएसइ स्कूलों में झारखंड के अन्य शहरों के आइसीएसइ बोर्ड के विद्यार्थी प्लस-टू में नामांकन के लिए आते है़ं हाल के वर्षों में राजधानी में लगभग आधा दर्जन आइसीएसइ बोर्ड के स्कूलों में प्लस टू की पढ़ाई शुरू हुई है़
इन स्कूलों में प्ले क्लास की कक्षा में नामांकन के लिए जितने फार्म जमा होते हैं, उस अनुपात में प्लस-टू में नहीं होते. उल्लेखनीय है कि एनसीइआरटी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर कराये गये सर्वे में आइसीएसइ बोर्ड के विद्यार्थी टॉपर रहे थे़ बोर्ड के विद्यार्थियों का मेधांक सबसे अधिक था़
एक समान है सिलेबस
प्लस-टू स्तर पर आइसीएसइ व सीबीएसइ बोर्ड का सिलेबस कॉमन है़ वर्ष 2011 से आइसीएसइ बोर्ड में प्लस-टू स्तर पर एक समान सिलेबस है़ वर्ष 2्017 से बोर्ड स्तर पर प्लस-टू के पाठ्यक्रम में और बदलाव किया जायेगा़
पाठ्यक्रम और प्रतियोगी परीक्षा के अनुरूप बनाया जायेगा़ इस पर सहमति बन गयी है़ प्लस-टू स्तर पर रिजल्ट भी बेहतर होता है़ बोर्ड में भी प्लस-टू स्तर पर 99 फीसदी तक अंक मिलता है़
क्या कहते हैं स्कूल के प्राचार्य
संत जेवियर स्कूल के प्राचार्य फादर अजीत खेस ने बताया कि यह सही है कि 10वीं तक की पढ़ाई के बाद विद्यार्थियों का एक बड़ा वर्ग सीबीएसइ की ओर चला जाता है़ इसका एक प्रमुख कारण यह है कि लोग मानते हैं कि सीबीएसइ बोर्ड का पाठ्यक्रम प्रतियोगी परीक्षा के लिए बेहतर है़,जबकि ऐसा नहीं है.
प्लस-टू स्तर पर कॉमन सिलेबस है़ आइसीएसइ बोर्ड से भी काफी संख्या में विद्यार्थी आइआइटी समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षा में सफल होते है़ं संत जेवियर स्कूल से ही इस वर्ष 20 विद्यार्थी आइआइटी मेंस में सफल हुए है़ं
दिल्ली पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉ राम सिंह ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी को लेकर विद्यार्थी आइसीएसइ बोर्ड से सीबीएसइ की ओर आते है़ं उनके विद्यालय में ही अगर देखा जाये, तो अपने स्कूल के बच्चों लिए निर्धारित सीट को छोड़ दिया जाये, तो बाहरी बच्चों के लिए तय सीट पर लगभग 40 से 45 फीसदी बच्चे आइसीएसइ बोर्ड के होते है़ राजधानी के अलावा राज्य के अन्य जिलों से भी आइसीएसइ बोर्ड के बच्चे नामांकन के लिए आते है़ं