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सरकार नहीं कर सकी सीनेट व सिंडिकेट सदस्यों का मनोनयन

बीएयू में नहीं होती सीनेट की बैठक, विधायक भी हैं सदस्य रांची : राज्य के पांचों विवि में पिछले दो वर्ष से सीनेट व सिंडिकेट के सदस्यों का मनोनयन नहीं हो सका है. इनका मनोनयन राज्य सरकार द्वारा किया जाना है. सरकार द्वारा वर्ष 2011 में 80 सदस्यों का मनोनयन किया गया था. इनका कार्यकाल […]

बीएयू में नहीं होती सीनेट की बैठक, विधायक भी हैं सदस्य
रांची : राज्य के पांचों विवि में पिछले दो वर्ष से सीनेट व सिंडिकेट के सदस्यों का मनोनयन नहीं हो सका है. इनका मनोनयन राज्य सरकार द्वारा किया जाना है. सरकार द्वारा वर्ष 2011 में 80 सदस्यों का मनोनयन किया गया था. इनका कार्यकाल तीन वर्ष का था. सितंबर 2014 में ही तीन वर्ष पूरे हो गये. लेकिन सरकार द्वारा सदस्यों का मनोनयन नहीं किया गया.
विवि नियमानुसार मनोनयन नहीं होने पर उन्हीं सदस्यों को नये सदस्यों को मनोनयन होने तक या फिर अधिकतम एक वर्ष के लिए विस्तार दिया गया. विस्तार की भी अवधि समाप्त हो गयी. लेकिन मनोनयन नहीं किया जा सका. पूर्व शिक्षा मंत्री गीता श्री उरांव के कार्यकाल में सदस्यों के मनोनयन के लिए संचिका बढ़ी, लेकिन विभागीय दावं-पेंच में अधिसूचना जारी नहीं हो सकी. इसके बाद से सभी विवि में सीनेट व सिंडिकेट के सदस्यों का स्थान रिक्त है. वर्ष 2011 में रांची विवि, विनोबा भावे विवि, सिदो-कान्हू मुरमू विवि, नीलांबर-पीतांबर विवि व कोल्हान विवि में सिंडिकेट में कुल 26 व सीनेट में 54 सदस्यों का मनोनयन किया गया था.
विधानसभा की ओर से रांची विवि में विधायकों का हुआ है मनोनयन: झारखंड विधानसभा से रांची विवि में छह विधायकों का मनोनयन सीनेट के लिए किया गया है. इनमें कमल किशोर भगत, अमित कुमार, चमरा लिंडा, गंगोत्री कुजूर, शिवशंकर उरांव व राम कुमार पाहन शामिल हैं. कमल किशोर भगत वर्तमान में विधायक नहीं हैं. इस तरह पांच ही विधायक रह गये हैं. दूसरी तरफ सिंडिकेट के लिए राज्यपाल द्वारा दो सदस्यों का मनोनयन किया है. इनमें सरफराज अहमद अौर प्रकाश चंद्र उरांव शामिल हैं.
रांची : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में एक वर्ष से सीनेट की बैठक नहीं हुई है़ विश्वविद्यालय के सीनेट के सदस्य के रूप में सात विधायक भी नामित किये गये है़
पिछले वर्ष मार्च में विधान सभा की ओर से विश्वविद्यालय के आग्रह के बाद सदस्यों की सूची भेजी गयी़ सीनेट की बैठक के माध्यम से शैक्षणिक माहौल को बेहतर करने का जो प्रयास होता, वह नहीं हो पाया़
विश्वविद्यालय की ओर से विधायकों को सीनेट के सदस्य के रूप में चयन के बाद पत्र भी भेजे गये है़ पिछले एक वर्ष से विधायक सीनेट की बैठक का इंतजार ही कर रहे है़ं
कौन-कौन विधायक हैं सदस्य
रवींद्र नाथ महतो, जय प्रकाश भोक्ता, निरल पूर्ति, नवीन जायसवाल, राधाकृष्ण किशोर, जीतूचरण राम. (रघु नंदन मंडल (अब दिवंगत) भी हुए थे नामित).
बैठक नहीं बुलाते, तो सदस्य क्यों बनाये जाते हैं : किशोर
भाजपा के मुख्य सचेतक और विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि शायद बीएयू को सीनेट की बैठक बुलाने की जरूरत नहीं है़ विश्वविद्यालय बिना सीनेट के सुझाव के ही बेहतर चल रहा होगा़ सीनेट की बैठक नहीं बुलानी, तो फिर हमेें सदस्य बनाने की क्या जरूरत थी़
विश्वविद्यालय ने विधान सभा को पत्र लिख कर क्यों सदस्यों के नाम मांगे़ यह एक तरह से विधायिका की भी अवमानना है़ राज्य में सुखाड़ की स्थिति है़ वैकल्पिक खेती की बात होती़
सीनेट की बैठक की अध्यक्षता कुलाधिपति सह राज्यपाल करते हैं. राज्यपाल से समय मिलते ही सीनेट की बैठक बुलायी जायेगी. विधायकों की भावना का संस्थान कद्र करता है.
डॉ जॉर्ज जॉन, कुलपति, बीएयू

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