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बिहार नहीं, तो गुजरात का ही मॉडल लागू करे झारखंड: नीतीश कुमार

धनबाद: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को धनबाद से झारखंड में शराबबंदी को लेकर अभियान शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार शराबबंदी के लिए अगर बिहार का मॉडल लागू करना नहीं चाहती है, तो गुजरात मॉडल ही लागू कर दे. शराबबंदी का न तो गुजरात मॉडल है और न ही बिहार […]

धनबाद: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को धनबाद से झारखंड में शराबबंदी को लेकर अभियान शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार शराबबंदी के लिए अगर बिहार का मॉडल लागू करना नहीं चाहती है, तो गुजरात मॉडल ही लागू कर दे. शराबबंदी का न तो गुजरात मॉडल है और न ही बिहार मॉडल, वास्तव में यह बापू का मॉडल है.

अगर भाजपा सरकार ऐसा नहीं कर पाती है, तो आनेवाले दिनों में बाबूलाल मरांडी शराबबंदी लागू करेंगे. नीतीश कुमार मंगलवार को धनबाद के न्यू टाउन हॉल में नारी संघर्ष मोरचा, झारखंड की ओर से ‘बिहार की तरह झारखंड में पूर्ण शराबबंदी’ पर आयोजित कन्वेंशन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे.

बिहार की सीमा पर झारखंड सरकार ने बढ़ा दी शराब दुकानें : उन्होंने कहा : पड़ोसी और भाई होने के नाते बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करने से पहले झारखंड, बंगाल और यूपी के सीएम को पत्र लिख कर सहयोग की अपील की थी. लेकिन झारखंड सरकार ने बिहार की सीमा से सटे जिलों में लाइसेंसी शराब दुकानों की संख्या में 25 से 50% तक की बढ़ोतरी कर दी. झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास कहते हैं कि झारखंड कभी बिहार मॉडल नहीं लागू करेगा. मैं भी नहीं चाहता कि बिहार मॉडल लागू करें. आप गुजरात मॉडल ही लागू कर दें. गुजरात मॉडल लागू कर ही झारखंड में बरबाद हो रहे परिवार को बचा लें. गुजरात ही ऐसा राज्य है, जहां स्थापना काल से ही शराबबंदी है. झारखंड की महिलाएं शराबबंदी के लिए आंदोलनरत हैं.
निर्णय वापस नहीं होगा : नीतीश कुमार ने कहा : बिहार में शराबबंदी का निर्णय वापस नहीं होगा, इसके लिए चाहे जो हो. बिहार सरकार को पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान शराब से पांच हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिला था. लेकिन बिहार सरकार को एेसी राशि की जरूरत नहीं है. शराब बंद हुई, तो बिहार में कारोबार फले-फूलेगा. बाद के दिनों में बिहार का राजस्व बढ़ेगा. बिहार में लिकर माफिया सक्रिय हैं, इसे लेकर बिहार को बदनाम करने की साजिश चल रही है. लेकिन हमें इन सबकी चिंता नहीं है.
महिलाओं की व्यथा देख लिया निर्णय : उन्होंने कहा : बिहार में जहां जाते थे, महिलाएं शराब के कारण होनेवाली परेशानी बताती थी. नौ जुलाई 2015 को पटना में ग्राम वार्ता कार्यक्रम में भाषण देने के बाद जब कुरसी पर बैठा, तब महिलाएं पीछे से शराबबंदी की मांग करने लगी. तब वापस आकर माइक से घोषणा की कि अगली बार सत्ता में आया, तो बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करेंगे. तीसरी बार सत्ता में आये, तो 26 नवंबर 2015 को पहले सार्वजनिक कार्यक्रम में एक अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा की. पहले इसे सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में ही लागू करने का निर्णय लिया था. लेकिन शराबबंदी के पहले ही दिन जिस तरह शहरी क्षेत्र में महिलाएं शराब दुकानों के खिलाफ सड़क पर उतरीं, उससे प्रेरित होकर पांच अप्रैल को पूरे राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करा दी.
झारखंड में शराबबंदी लागू करनी होगी : बाबूलाल
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा : जिस तरह से महिलाएं शराब के खिलाफ आगे आयी हैं, उसे देखते हुए झारखंड सरकार अब इस मुद्दे को बहुत दिनों तक नहीं टाल सकती है. यहां शराब को आदिवासियों की संस्कृति से जोड़ कर बदनाम किया जा रहा है. जबकि हकीकत यह है कि सबसे पहले झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने ही टुंडी में शराब के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था. उस वक्त श्री सोरेन को आदिवासियों को व्यापक समर्थन मिला था. बाद में उन्होंने कई बार शराब के खिलाफ मुहिम चलायी. इसलिए आदिवासियों को बदनाम करने की साजिश बंद होनी चाहिए. शराब के कारण सबसे ज्यादा आदिवासी, दलित परिवार ही प्रभावित हो रहे हैं. 40-42 वर्ष तक में आदिवासी बूढ़े हो जा रहे हैं , मर भी जाते हैं.
70 प्रतिशत घर शराब से बरबाद : जलेश्वर
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो ने कहा : झारखंड में 70 प्रतिशत घर शराब से बरबाद हो रहा है. शराब यहां के लिए दुर्भाग्य है. रघुवर सरकार शराबबंदी से होनेवाले नुकसान को भुला कर जनहित में इसे लागू करे. जिस तरह से आधी आबादी जागृत हुई है, उससे वह दिन दूर नहीं, जब झारखंड में पूर्ण शराबबंदी लागू होगी. समारोह की अध्यक्षता नारी संघर्ष मोरचा की अध्यक्ष चंचला देवी और संचालन मौसम महंति ने किया.
झारखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर मांगा था सहयोग
नीतीश कुमार ने कहा : झारखंड के सीएम कहते हैं कि मुझे सत्ता का नशा है. नीतीश कुमार ने दो पत्र दिखाते हुए कहा कि 18 जनवरी 2016 को झारखंड के सीएम को पत्र लिख कर शराबबंदी में सहयोग करने का आग्रह किया था. तीन फरवरी को झारखंड के सीएम का जवाब आया. उन्होंने लिखा कि आपका पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय को मिला है. इसे संबंधित उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग को भेज दिया गया है. अब आप लोग बताये कि सत्ता का नशा किसे है.
भाजपा सरकार नहीं लागू कर पायी तो बाबूलाल मरांडी करेंगे
झारखंड में शराबबंदी के लिए किसी भी हद तक जायेंगे
शराब माफिया के दबाव में नहीं झुकेंगे
बिहार में अपराध, दुर्घटनाओं में आयी है कमी
स्कूली बच्चों से लेकर महिलाओं तक का लिया सहयोग
पूरे देश में बन रहा है शराब के खिलाफ माहौल

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