Ranchi News: हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HEC) लगातार चार वर्षों से घाटे में है. एचइसी की वित्तीय स्थिति ऐसी हो गयी है कि अधिकारियों का 12 माह का व कर्मियों का 10 माह का वेतन बकाया है. कार्यशील पूंजी के अभाव में तीनों प्लांट में 80 प्रतिशत कार्य ठप पड़े हुए हैं. कंपनी में स्थायी सीएमडी की नियुक्ति नहीं हो रही. वर्तमान में भेल के सीएमडी नलिन सिंघल अतिरिक्त प्रभार में हैं. निदेशक वित्त का पद खाली है. वहीं जनवरी तक निदेशक कार्मिक व निदेशक विपणन सह उत्पादन भी सेवानिवृत्त हो जायेंगे.
वर्तमान में एचइसी की नेटवर्थ निगेटिव है. एचइसी की देनदारी 1100 करोड़ रुपये, नेटवर्थ माइनस 844 करोड़ रुपये, वर्ष 2022-23 तक कुल घाटा 1581 करोड़ रुपये का हो गया है. वहीं एचइसी लगातार चार वर्षों से घाटे में चल रहा है. वर्ष 2018-19 में 93.67 करोड़, वर्ष 2019-20 में 405.37 करोड़, वर्ष 2020-21 में 175.78 करोड़ के घाटे में है. साथ ही वर्ष 2021-22 में एचइसी 200 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में है. वर्तमान में एचइसी के पास करीब 1400 करोड़ रुपये का कार्यादेश है. वहीं एचइसी में वर्तमान में स्थायी कर्मियों की संख्या 1250 और सप्लाई कर्मियों की संख्या 1650 है. इन सबके बीच एचइसी की संपत्ति के मूल्यांकन के लिए निविदा निकाली गयी है. इसमें छह कंपनियों को तकनीकी बिड के लिए चुना गया है. जल्द ही फाइनेंसियल बिड खुलेगा. इससे अब एचइसी के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं.
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एचइसी के पास वर्तमान में करीब 4200 एकड़ जमीन है. इसमें आधी से अधिक जमीन पर अवैध निर्माण है, जो निवेशकों को लुभा सकता है. एचइसी का आवासीय परिसर करीब 7200 एकड़ भूमि पर है. इसमें करीब 900 एकड़ भूमि पर कारखाना है. एचइसी ने राज्य सरकार को 2000 एकड़, सीआइएसएफ को 158 एकड़, जेएससीए स्टेडियम को 32 एकड़, सेल सेटेलाइट कॉलोनी को 62 एकड़, एमडीपी को 70 एकड़, निफ्ट को 62 एकड़, स्मार्ट सिटी के लिए सरकार को 675 एकड़ भूमि के अलावा कुछ निजी स्कूलों को जमीन दी है.
एचइसी पहली बार वर्ष 1992 में बोर्ड फॉर इंडस्ट्रियल फाइनेंस एंड रीकंस्ट्रक्शन (बीआइएफआर) के अधीन गया था और इसे रुग्ण उद्योग का दर्जा मिला. इसके बाद केंद्र सरकार और तत्कालीन बिहार सरकार के प्रयास के बाद एचइसी वर्ष 1997 में बीआइएफआर से बाहर हुआ था. तब एचइसी को विभिन्न मद में 500 करोड़ रुपये से अधिक का पैकेज मिला था.
एचइसी दूसरी बार करीब 1998-99 के बीच फिर बीआइएफआर के अधीन चला गया. केंद्र सरकार की सहमति पर वर्ष 2006-07 में राज्य सरकार द्वारा एचइसी को पैकेज की मंजूरी दिये जाने के बाद एचइसी बीआइएफआर से बाहर निकला.
कंपनी की स्थापना 31 दिसंबर 1958 को हुई थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 15 नवंबर 1963 को कंपनी राष्ट्र को समर्पित किया था. आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू रूस चले गये. वहां उन्होंने भारी मशीन और कंपनी देखी. भारत में भी ऐसी कंपनी की स्थापना का विचार किया. कंपनी स्थापित करने के लिए उन्होंने रांची को चुना. पांच साल के अंदर 15 नवंबर 1963 में इसकी शुरुआत हो गयी. उस वक्त इसे मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्री कहा गया. देश के कई स्टील उद्योगों को स्थापित करने में एचइसी की महती भूमिका रही है. वहीं युद्ध में सेना के लिए उपकरण व अंतरिक्ष में देश को आत्मनिर्भर बनाने में भी एचइसी की अहम भूमिका रही है. चंद्रयान जीएसएलवी के लिए लॉन्च पैड बनाने में भी एचइसी की भूमिका रही.
एचइसी बंदी के मुहाने पर खड़ा है. केंद्र सरकार पहले एचइसी को बंद करेगी. इसके बाद निजी हाथों में देगी. इसी प्रक्रिया पर केंद्र सरकार कार्य कर रही है. राज्य सरकार अगर पहल करती है, तो एचइसी को बचाया जा सकता है.