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मैट्रिक के रिजल्ट में तीन फीसदी की गिरावट

वर्ष 2015 की तुलना में इस बार मैट्रक के रिजल्ट में 3.5 फीसदी की कमी आयी है. रिजल्ट शुक्रवार को झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अरविंद प्रसाद सिंह ने जैक सभागार में जारी किया़ उन्होंने कहा कि राज्य भर में कदाचार मुक्त परीक्षा हुई़ कर्मियों की हड़ताल के कारण रिजल्ट जारी करने में कुछ […]

वर्ष 2015 की तुलना में इस बार मैट्रक के रिजल्ट में 3.5 फीसदी की कमी आयी है. रिजल्ट शुक्रवार को झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अरविंद प्रसाद सिंह ने जैक सभागार में जारी किया़
उन्होंने कहा कि राज्य भर में कदाचार मुक्त परीक्षा हुई़ कर्मियों की हड़ताल के कारण रिजल्ट जारी करने में कुछ विलंब हुआ़ वर्ष 2012 के बाद इस वर्ष सबसे कम रिजल्ट हुआ़ वर्ष 2012 में 67.35 फीसदी परीक्षार्थी सफल हुए थे़ वहीं वर्ष 2013 व 2014 में मैट्रिक का रिजल्ट क्रमश: 73 व 75 फीसदी हुआ़ 2015 में भी रिजल्ट में चार फीसदी की कमी आयी थी़ इस तरह गत दो वर्ष मैट्रिक रिजल्ट में आठ फीसदी की गिरावट आयी है़ वर्ष 2016 की मैट्रिक परीक्षा में 67.54 फीसदी परीक्षार्थी सफल हुए हैं. मौके पर जैक के उपाध्यक्ष फूल सिंह, सचिव मोहन चांद मुकिम आदि थे़
असफलता अभिशाप नहीं, बल्कि खुद को बेहतर करने का संदेश होता है. आज हमारे समाज में कई ऐसे लोग हैं, जो लंबे समय तक कठिनाई में रहे. लगातार असफल होते रहे, लेकिन आज दुनिया उनका नाम लेती है़ इनकी सफलता का कारण लगातार किया गया अथक प्रयास है़ यह रिपोर्ट तीन ऐसे ही लोगों की कहानी बता रही है, जिन्हें लगातार असफलता हाथ लगी़, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी़
22 हजार लोगों को काम देनेवाली कंपनी बनायी
दुनिया में कई ऐसे लोग होते हैं, जो नौकरी की तलाश में सालों में लगा देते हैं. वहीं कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जो नौकरी न मिलने पर नौकरी पैदा करने के बारे सोचते हैं. चीन के रहनेवाले जैक मा ऐसे ही लोगों में से एक हैं.
जैक मा जब 13 साल के थे, तभी उन्होंने अंगरेजी सीखनी शुरू कर दी थी़ अमूमन चीन में ऐसा कम ही लोग करते हैं. इसके लिए उन्होंने कभी भी शिक्षक की मदद नहीं ली़, बल्कि वे टूरिस्ट गाइड बन गये थे़ टूरिस्टों को घुमाने के दौरान उन्होंने उनसे अंगरेजी के साथ-साथ पश्चिमी लोगों के तकनीक और स्टाइल को भी सीखा. यह काम उन्होंने करीब नौ साल तक किया. जैक इंटरनेट की दुनिया में बिजनेस करने से पहले एक ट्रांसलेशन कंपनी चलाते थे. जिसके बाद वे अमेरिका गये और वहां उन्होंने इंटरनेट देखा़ उन्होंने सबसे पहला शब्द इंटरनेट पर बीयर (भालू) टाइप किया.
उनके सामने कई देशों के बीयर ऑप्शन दिखे, लेकिन चाइनीज बीयर नहीं दिखा. इसी उत्सुकता में उन्होंने बाद में चाइनीज में होम पेज तैयार किया. जैक ने सबसे पहले चाइना पेजेस नाम की इंटरनेट कंपनी बनायी़ इस कंपनी को शुरू करने के लिए जैक ने अपनी बहन से पैसे उधार लिए थे, लेकिन यह कंपनी फेल हो गयी़ इसके बाद उन्होंने चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री में काम किया़ कुछ दिन नौकरी करने के बाद वे अपने घर हैंग्जू चले गये.
वहां उन्होंने अलीबाबा कंपनी की शुरुआत की. अलीबाबा कंपनी की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस कंपनी ने अपना आइपीओ 4080 रुपये (68 डॉलर) पर पेश किया था और मार्केट खत्म होने पर इसकी कीमत 5711 रुपये (93.89 डॉलर) हो गयी थी. इसे अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा आइपीओ बताया जा रहा है. उनकी निजी संपत्ति की कीमत करीब 130800 करोड़ रुपये है. चीन के सबसे अमीर इस व्यक्ति ने एक वक्त ऐसा भी देखा था, जब उन्हें केएफसी ने नौकरी देने से मना कर दिया था़ अभी की हकीकत यह है कि अलीबाबा डॉट कॉम के नाम से मशहूर यह कंपनी दुनिया भर के 190 कंपनियों से जुड़ी हुई हैं. अलीबाबा कंपनी में करीब 22 हजार लोग काम करते हैं.
12 प्रकाशकों ने किया था छापने से मना
जिन्हें यह लगता है कि वे अपना आत्मविश्वास खो रहे हैं, उन्हें जेके रॉलिंग के बारे जानना चाहिए़ जीवन के हर लम्हें में फेल होनेवाली इस महिला ने इतिहास रचा़ मां के निधन व पति से तलाक के बाद जेके रॉलिंग डिप्रेशन में चली गयीं थी, लेकिन हिम्मत की और अाज उदाहरण बनी हैं.
सामान्य तौर पर जेके रॉलिंग को हैरी पोटर्र किताब की लेखिका के नाम से जानना चाहता है़, लेकिन कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि आज जिस मुकाम पर वे हैं, उसके लिए उन्होंने कितना संघर्ष किया है़ 1990 के शुरुआत में उन्होंने अपनी भावनाओं को मूर्त रूप देने की सोची़
मैनचेस्टर से लंदन जाने के दौरान उनके दिमाग में हैरी पोटर्र किताब लिखने का आइडिया आया़ उन्होंने बड़े उत्साह के साथ किताब लिखना ही शुरू ही किया था कि उनकी मां का निधन हो गया़ मां की मृत्यु के बाद वे 1992 में पुर्तगाल पहुंच गयी़ जहां एक स्कूल में वे अंगरेजी पढ़ाना शुरू किया़
यहीं उन्होंने शादी की़ बाद में उनकी बेटी भी हुई़, लेकिन किसी कारणवश उनकी शादी चली नहीं और 1993 में उनका तलाक हो गया़ वहां से वे स्कॉटलैंड अपनी बहन के पास चलीं गयीं. इस समय उनके सूटकेस में हैरी पोटर्र किताब का तीन चैप्टर पड़ा हुआ था़ वह इतनी आहत थी कि वे धीरे-धीरे डिप्रेशन में चली गयी़
इससे उबरने के बाद उन्होंने 1995 में हैरी पोटर्र किताब को पूरा किया, लेकिन उस किताब को कोई प्रकाशन छापने को तैयार नहीं था़ एक के बाद एक 12 प्रकाशकों ने उन्हें मना कर दिया़ एक साल के लंबे संघर्षपूर्ण तलाश के बाद ब्लूंबरी पब्लिकेशन ने इसे छापा़ तब इसकी मात्र पांच सौ कॉपियां ही छापी गयी थी़ बाजार में आते ही किताब को पाठकों ने हाथों हाथ लिया़ नेस्ले स्मार्टिस बुक प्राइस और ब्रिटिश बुक अवार्ड से इस किताब को नवाजा जा चुका है़
फेसबुक ने रिजेक्ट किया तो बना डाला व्हाट्स एप
आजकल सबके पास एंड्रायड फोन है़ उसमें एक ऐसा एप्लीकेशन है जिसके बिना हमारा फोन अधूरा है़ इसे व्हॉट्स एप के नाम से जाना जाता है़ इसकी शुरुआत साल 2009 में हुई थी. आज की तारीख में इसके 60 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं. इसकी शुरुआत करनेवाले ब्रायन ऐक्टन को कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था़ एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 में उन्होंने जॉब के लिये फेसबुक में अावेदन दिया था, लेकिन उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया़ इसके बाद उन्होंने ट्वीटर में जॉब के लिये कोशिश की, लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी.
जब किसी के साथ ऐसा बार-बार होता है, तब उसे अपनी योग्यता और प्रतिभा पर शक होने लगता है. लोग अपनी जिंदगी से हार मान लेते हैं, लेकिन ब्रायन ऐक्टन को खुद पर विश्वास था. कुछ कर दिखाने की इच्छा थी. उनके अंदर खुद को साबित करने की आग थी.
उन्होंने दूसरे लोगों की तरह हार मानने की जगह, परेशान होने की जगह अपने दोस्त के साथ मिल कर रात-दिन मेहनत करके एक ऐसा एप्लीकेशन बना डाला जिसने पूरी दुनिया में धूम मचा दी. व्हाट्स एप एप्लीकेशन बनाने के पहले जिस फेसबुक कंपनी ने ब्रायन ऐक्टन को रिजेक्ट किया था, उसी के प्रोडक्ट को ठीक पांच साल बाद फेसबुक ने 19 बिलियन डॉलर यानी एक लाख करोड़ से भी ज्यादा रुपयों में खरीदा. ब्रायन ऐक्टन जिस कंपनी में काम मांगने गये थे, आज उसी कंपनी के मेजर शेयर होल्डर बन गये.
रामगढ़ के सबसे अिधक चार िवद्यार्थी रहे िजला टाॅपर
िजला नाम स्कूल प्राप्तांक
रांची जय आनंद एसएस हाइस्कूल िचलदाग, रांची 475
गुमला रोशन कुमार सीताराम एसवीएम भरनो 446
लोहरदगा रिशु महतो यूसी गर्ल्स हाइस्कूल लोहरदगा 449
िसमडेगा दीपधर िसंह सरस्वती िशशु िवद्या मंिदर सलडेगा 440
खूंटी िपंकी कुमारी संत मेरी गर्ल्स हाइस्कूल मुरहू 442
हजारीबाग नेहा िसन्हा इंदिरा गांधी बालिका हाइस्कूल 465
िगरिडीह अजय कुमार हाइस्कूल अटका 469
धनबाद िरतु कु महतो केजीबीवी बलियापुर 460
चतरा रौशन कुमार जनता हाइस्कूल मथुरापुर 450
बोकारो दीपा कुमारी कार्मेल हाइस्कूल बोकारो थर्मल 449
कोडरमा रानी वर्मा सीडी गर्ल्स हाइस्कूल झुमरीितलैया 447
रामगढ़ अनंत कुशवाहा बीएसवीएम बड़की दुंदी 448
रामगढ़ अंिकत कुमार िकसान हाइस्कूल डाबहातू गोला 448
रामगढ़ सूरज महतो िकसान हाइस्कूल डाबहातू गोला 448
रामगढ़ शैलेश कुमार आरकेएस हाइस्कूल हरहद कंदेर 448
मेदिनीनगर अंर्चना कुमारी आरके सूरत हाइस्कूल लोहरा 463
मेदिनीनगर अनिता कुमारी आरके सूरत हाइस्कूल लोहरा 463
गढ़वा नीशु बाला एसवीएम हाइस्कूल नगरऊंटारी 455
लातेहार सुमन शेखर हाइस्कूल नेतरहाट 477
दुमका ज्ञानकिशोर िकस्कू ज्ञानमंजरी हाइस्कूल दुमका 459
देवघर सत्यम राव हाइस्कूल रोहणी 464
साहेबगंज नीतिश कुमार संत जॉन हाइस्कूल मुंडली 479
पाकुड़ सुष्मिता िसंघा हाइस्कूल महेशपुर 433
गोड्डा मो अिदल अंसारी +2 हाइस्कूल गोड्डा 457
जामताड़ा िचनमय कुमार एसबी हाइस्कूल कुंदाहित 455
पू िसंहभूम िदनेश कुंभकार +2 हाइस्कूल बानगुरदा 457
प िसंहभूम सूरज िसन्हा पीजेएसएस मंिदर नोवामुंडी 467
सरायकेला अंिकत कु पांडे आदर्श हाइस्कूल असंगी आिदत्यपुर 457
गणित में सबसे अिधक 42,192 िवद्यार्थियों को ए प्लस
िवषय A+ A B+ B
िहंदी ए 11171 111140 125711 126088
िहंदी बी 575 8713 12676 11441
अंगरेजी 7512 70267 110568 158652
संस्कृत 2063 49327 133356 148260
बांग्ला 120 1371 1888 2567
ओड़िया 6 109 173 275
उर्दू 512 8486 10601 10962
अरबी 4 26 5 3
परसियन 11 211 414 316
गणित 42192 77641 95648 126794
विज्ञान 17219 99740 152193 136428
सा िवज्ञान 8772 137581 188212 106072
हो 222 2449 1213 509
मुंडारी 50 692 619 585
संताली 259 5266 4969 2668
उरांव 2 424 822 488
पंचपरगनियां 71 431 240 45
नागपुरी 139 183 292
कुरमाली 40 327 588 255
खोरठा 43 1518 459 162
कॉमर्स 9 210 160 48
म्यूजिक 87 5 2
होमसाइंस 415 693 412 43
आइटी 82 488 88 8

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