बांग्ला संस्कृति का इतिहास गौरवमयी, संरक्षण जरूरी
रांची: तीन दिवसीय बांग्ला सांस्कृतिक शुक्रवार को जिला स्कूल प्रांगण में शुरू हुआ. मेला का उदघाटन राज्य की राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुरमू, पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन व कला संस्कृति मंत्री अमर बाउरी ने संयुक्त रूप से किया. मौके पर राज्यपाल श्रीमती मुरमू ने कहा कि बांग्ला संस्कृति का गौरवमयी इतिहास रहा है. चाहे वो आध्यात्मिक, […]
रांची: तीन दिवसीय बांग्ला सांस्कृतिक शुक्रवार को जिला स्कूल प्रांगण में शुरू हुआ. मेला का उदघाटन राज्य की राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुरमू, पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन व कला संस्कृति मंत्री अमर बाउरी ने संयुक्त रूप से किया. मौके पर राज्यपाल श्रीमती मुरमू ने कहा कि बांग्ला संस्कृति का गौरवमयी इतिहास रहा है. चाहे वो आध्यात्मिक, सामाजिक या आंदोलन हो, सभी जगहों पर बंगभाषी विभूतियों का योगदान रहा है. बांग्ला संस्कृति को बचाना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि युवा अपनी संस्कृति को कैसे बचाना है, इस पर चिंतन करें. बांग्ला संस्कृति एक राज्य की नहीं, बल्कि पूरे विश्व की है. मेला के माध्यम भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है.
पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने कहा कि बांग्ला संस्कृति व भाषा झारखंड को ज्यादा प्रभावित करती है. बांग्ला भाषा झारखंड के कई इलाकों में बोली जाती है. मैं बांग्ला के काफी नजदीक रहा हूं. बांग्ला मेला समाज के हर तबके को एक सामूहिक मंच प्रदान करता है.
बांग्ला सांस्कृतिक मेला के सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बांग्ला मेला समाज को एक नयी ऊर्जा प्रदान करता है. उन्होंने तीन दिवसीय इस मेले का सफल बनाने का आह्वान किया. खेल मंत्री अमर बाउरी ने कहा कि बांग्ला संस्कृति देश को एक नयी दिशा देने का काम किया है. कवियों व रचनाकारों ने अपनी कविताओं व रचना के जरिये आंदोलन में अपनी सहभागिता निभायी. बांग्ला भाषा का झारखंड से काफी जुड़ाव रहा है. इसकी झलक पर्व त्योहारों में देखने काे मिलती है. कार्यक्रम में रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी भवेशानंद के अलावा बीएन राय समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे. बंगला एसोसिएशन की महिला शाखा की सदस्यों ने स्वागत गीत ‘बांग्ला माये डामाल छेले, डाक दीए छे मां-मां बोले………’ पेश कर अतिथियों का स्वागत किया.