रांची: बिजली बोर्ड के विखंडन को रद्द करने और रांची व जमशेदपुर में फ्रेंचाइजी रद्द करने की मांग को लेकर बिजली यूनियनों ने 11 फरवरी से बत्ती बंद हड़ताल की चेतावनी दी है. झारखंड विद्युत अभियंता पदाधिकारी समन्वय समिति के संयोजक प्रशांत चतुर्वेदी ने 21 जनवरी को बोर्ड मुख्यालय व मुख्यमंत्री कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन करने की बात कही है. होटल सिटी पैलेस में पत्रकारों से बात करते हुए श्री चतुर्वेदी ने कहा कि बिजली बोर्ड के विखंडन के पूर्व यूनियनों के साथ त्रिपक्षीय समझौता होना था. कुल 12 यूनियन है. इसमें छह की स्वीकृति के बगैर ही बोर्ड का बंटवारा कर दिया गया. जिन यूनियनों से सहमति ली गयी है, उनके सदस्य काफी कम हैं. जहां तक जेपेसा के उपाध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षर करने की बात है, तो उन्हें धमकी देकर हस्ताक्षर कराया गया है. फिर भी पेसा ने उन्हें नोटिस जारी किया है.
श्री चतुर्वेदी ने प्रधान महालेखाकार की प्रारंभिक रिपोर्ट को जारी करते हुए बताया कि यूनियन के आग्रह पर प्रधान महालेखाकार ने रांची और जमशेदपुर में फ्रेंचाइजी मामले की ऑडिट शुरू की है. प्रारंभिक रिपोर्ट में अनियमितता का बात कही गयी है. बोर्ड से जवाब-तलब किया गया है, पर बोर्ड ने कोई जवाब नहीं दिया है. श्री चतुर्वेदी ने कहा कि फ्रेंचाइजी मामले में धांधली की गयी है. पहले बोर्ड ने 1100 रुपये खर्च कर रांची, जमशेदपुर और धनबाद जैसे शहरों में वितरण व्यवस्था को दुरुस्त की गयी. इसके बाद निजी कंपनियों को दिया जा रहा है. उनके साथ 15 सालों का एग्रीमेंट जिस दर पर हुआ है. इससे बोर्ड को भारी नुकसान होगा.
एक साजिश के तहत निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. श्री चतुर्वेदी ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि सारे मैनपावर उपलब्ध करा दिये जाये, तो कर्मचारी ही बोर्ड को फायदे में ला देंगे.
फ्रेंचाइजी कंपनियों पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि रेगुलेटर को ये कंपनियां मैनेज कर दर बढ़वा देंगी. समिति ने अविलंब दोनों फैसलों को वापस लेने की मांग की है. संवाददाता सम्मेलन में एमपी यादव, बैकुंठ नंदन सिंह समेत कई उपस्थित थे.