हर माह 1.71 करोड़ भुगतान, पर मॉनिटरिंग नहीं

मोबाइल मेडिकल यूनिट रांची : राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत संचालित कुल 103 मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. इनमें से दो एमएमयू बसें जल जाने व अन्य कारण से पहले ही बेकार हो गयी है. वहीं छह अन्य बेकार पड़ी हैं. इस तरह अभी राज्य भर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 7, 2016 7:23 AM
मोबाइल मेडिकल यूनिट
रांची : राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत संचालित कुल 103 मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. इनमें से दो एमएमयू बसें जल जाने व अन्य कारण से पहले ही बेकार हो गयी है.
वहीं छह अन्य बेकार पड़ी हैं. इस तरह अभी राज्य भर में 95 बसों का संचालन हो रहा है, जिन्हें सरकार हर माह 1.71 करोड़ रुपये (प्रति माह प्रति बस 1.8 लाख की दर से) का भुगतान कर रही है. पर यह योजना बगैर किसी मॉनिटरिंग के चल रही है. जबकि बसों में जीपीएस सिस्टम लगा हुआ है.
बहरहाल गैर सरकारी संस्थाअों के मार्फत संचालित एमएमयू बसें उनके ही हाल पर छोड़ दी गयी हैं. एक विभागीय अधिकारी ही अब इन बसों को सफेद हाथी कह रहे हैं. गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू या मोबाइल बस) की सेवा शुरू की गयी थी. वर्ष 2008 में कुल 24 बसों से इसकी शुरुआत हुई. बाद में 79 बसें अौर खरीदी गयी. गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से संचालित एमएमयू के संबंध में कई शिकायतें मिलती रही है. अपवाद छोड़ ज्यादातर संस्थाअों पर बसें खड़ी रखने या कम चलाने के आरोप लग रहे हैं. इसकी जांच तक नहीं हो रही.
सिविल सर्जनों पर लगते रहे हैं आरोप
एमएमयू संचालक कई संस्थाएं अपने जिले के सिविल सर्जनों पर उगाही का आरोप लगाती रहीं हैं. संस्थाओं का कहना है कि सिविल सर्जन उन्हें भुगतान के बदले हर माह अपना हिस्सा लेते हैं. दूसरी ओर संस्थाओं को बसों के संचालन में नियम-शर्तों संबंधी छूट दी जाती है.

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