झारखंड-बिहार से आठ माह में मोबाइल टावरों से 815 रिमोट रेडियो यूनिट हुए चोरी

मोबाइल टावरों से चोरों ने अब हाइटेक उपकरण भी चुराना शुरू कर दिया है. अब वे बैटरी और केबल के साथ-साथ रिमोट रेडियाे यूनिट (आरआरयू, नेटवर्क गियर) को भी निशाना बना रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 10, 2024 1:28 AM

राजेश कुमार (रांची).

मोबाइल टावरों से चोरों ने अब हाइटेक उपकरण भी चुराना शुरू कर दिया है. अब वे बैटरी और केबल के साथ-साथ रिमोट रेडियाे यूनिट (आरआरयू, नेटवर्क गियर) को भी निशाना बना रहे हैं. हाल यह है कि झारखंड-बिहार में पिछले आठ माह में 815 रिमोट रेडियो यूनिट चोरी हुई है. अकेले, झारखंड से ही 224 और बिहार से 591 नेटवर्क गियर चोरी की गयी है. झारखंड में एयरटेल के 167 और रिलायंस जियो के 57 एवं बिहार में एयरटेल के 518 और रिलायंस जियो की 73 यूनिट चोरी हुई है. इस चोरी के कारण मोबाइल नेटवर्क पर बुरा असर पड़ रहा है. इस दौरान नये सिम कार्ड एक्टिवेट करने, रिचार्ज करने और रेडियो सेट करने में भी दिक्क्त पैदा हो रही हैं. इससे कनेक्टिविटी गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है.

एक यूनिट की कीमत लगभग चार लाख रुपये :

मोबाइल कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि एक यूनिट की कीमत लगभग चार लाख रुपये है. झारखंड-बिहार से 815 आरआरयू की चोरी से लगभग 32़ 60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. जबकि, राष्ट्रीय स्तर पर यह नुकसान 800 करोड़ रुपये का है. टेलीकॉम कंपनियों की जांच में पता चला है कि चोरी किये गये उपकरणों को कबाड़ में रूप में बांग्लादेश और चीन जैसे देशों में भेजा जा रहा है. यही नहीं, इन उपकरणों को रीसेट और रिफब्रिश करने के बाद दुबारा इस्तेमाल के लिए तैयार कर उन्हें बेचने के लिए वेबसाइट पर लिस्ट कर दिया जा रहा है. 27 मई, 2024 के एक निर्देश में डीओटी (दूरसंचार विभाग) ने सभी लाइसेंस सेवा क्षेत्रों में प्रवर्तन इकाइयों से कहा है कि वे राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ टेलीकॉम गियर की चोरी की त्रैमासिक समीक्षा करें.

क्या काम करता है रिमोट रेडियो यूनिट :

आधुनिक मोबाइल नेटवर्क के बुनियादी ढांचे का रिमोट रेडियो यूनिट एक जरूरी हिस्सा है. यह बेस स्टेशन और मोबाइल डिवाइस या यूजर के डिवाइस के बीच रेडियो सिग्नल भेजने और प्राप्त करने का काम करता है. टावरों या छतों पर लगा यह आरआरयू किसी भी मोबाइल नेटवर्क के लिए बिना किसी रुकावट के कनेक्टिवटी सुनिश्चित करता है.

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