राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार 15 इंजीनियरों ने अपने मूल पेशे के बदले पांचवीं जेपीएससी परीक्षा में सफल होकर डिप्टी कलेक्टर के रूप में योगदान किया है. इससे पहले सचिवालय सहायक के अराजपत्रित पद पर 48 इंजीनियरों ने योगदान दिया था. जेपीएससी में सहायक के 10 पदों में से आठ पदों पर इंजीनियरों ने योगदान किया. इसी तरह उत्पाद विभाग के अधीन दारोगा के 55 पदों में से 26 इंजीनियरों ने योगदान दिया. इसके अलावा 15 इंजीनियरों ने पांचवीं जेपीएससी के माध्यम से डिप्टी कलेक्टर के रूप में योगदान किया. इस तरह 107 इंजीनियरों में से सिर्फ 15 इंजीनियरों ने राजपत्रित पदों पर योगदान किया. शेष 92 इंजीनियरों ने अराजपत्रित पदों पर योगदान किया है.
इंजीनियरों द्वारा अराजपत्रित पदों के लिए परीक्षा में शामिल होना और इन पदों पर योगदान देने की घटना को प्रशासनिक हलकों में सरकारी नौकरियों में कमी और समय पर विभिन्न सेवा संवर्ग में नियुक्ति नहीं को मुख्य कारण के रूप में देखा जा रहा है. राज्य में अांगनबाड़ी पर्यवेक्षिका के अलावे लिपिक अमित कुमार श्रीवास्तव, वीएलडब्ल्यू संजय कुमार यादव और सुनीता कुमारी ने भी डिप्टी कलेक्टर के रूप में सफलता पायी है. 10 स्कूल शिक्षक भी इस बार डिप्टी कलेक्टर बने हैं.