पति के साथ हुई है साजिश, वह आत्महत्या करनेवाले इंसान नहीं थे
जब बोला था साथ देंगे, तो एसपी-डीएसपी ने अकेला काहे छोड़ दिया रांची. धनबाद के तोपचांची थाना प्रभारी उमेश कच्छप पिछले चार दिन से परेशान थे. दो दिन तो उन्होंने खाना भी नहीं खाया था. टेंशन में थे. उमेश कच्छप की पत्नी चंद्रमणी कच्छप ने बताया कि उनके पति के साथ साजिश हुई है, वह […]
जब बोला था साथ देंगे, तो एसपी-डीएसपी ने अकेला काहे छोड़ दिया
रांची. धनबाद के तोपचांची थाना प्रभारी उमेश कच्छप पिछले चार दिन से परेशान थे. दो दिन तो उन्होंने खाना भी नहीं खाया था. टेंशन में थे. उमेश कच्छप की पत्नी चंद्रमणी कच्छप ने बताया कि उनके पति के साथ साजिश हुई है, वह आत्महत्या करनेवालों में से नहीं थे.
उन्होंने सवाल उठाया कि जब एसपी-डीएसपी ने उनसे (उमेश कच्छप से) कहा था कि साथ देंगे, तो फिर अकेला क्यों छोड़ दिया. उमेश कच्छप की मौत की जानकारी मिलने के बाद चंद्रमणी देवी लगातार रो रही हैं. उमेश के पिता गउंदरा कच्छप बिस्तर पर पड़े हैं, उनकी आंखों में आंसू नहीं है. मां जमीन पर बैठ कर लगातार लोगों को निहार रही है.
बेटी विजेता कच्छप के चेहरे पर भी पिता की मौत की पीड़ा साफ झलकती है.
उमेश कच्छप की पत्नी चंद्रमणी कच्छप बताती हैं : घटना से चार-पांच दिन पहले उनसे बात हुई थी.उन्होंने बताया था कि ट्रक चालक को गोली लग गयी है. बहुत गलत हुआ है. इस घटना के बाद उमेश कच्छप ने घर पर काॅल करना बंद कर दिया था. जब भी कॉल करती थी, तो परेशान रहने और दवाब के बारे में कहते थे. शुक्रवार की रात भी करीब 10.30 बजे उनसे बात हुई. उन्होंने किसी के द्वारा साथ नहीं दिये जाने की बात कही थी. उमेश कच्छप ने कहा था कि एसपी-डीएसपी ने पहले कहा था कि साथ देंगे, अब कह रहे हैं साथ नहीं दे सकते. उनको समझाया कि कोई साथ नहीं देगा, तो भगवान साथ देंगे. चिंता न करें
रांची : उमेश कच्छप कांके स्थित नगड़ी के मूल निवासी थे. नगड़ी और बुकरू के बीच में सड़क किनारे उन्होंने नया घर बनाया था. यहीं उनके साथ पत्नी, माता-पिता और तीन बच्चे रहते थे. छह जून को ही वह धनबाद जानेवाले थे. पत्नी चंद्रमणी कच्छप के कहने पर वह छह जून (सोमवार) को धनबाद नहीं गये. पत्नी ने बताया कि सोमवार को साथ में पूजा-पाठ किया. कहा मंगलवार को जाइयेगा. वह मान गये. मंगलवार को सुबह अपनी गाड़ी से धनबाद गये.
पुलिसिया रौब नहीं था : पड़ोसी बताते हैं कि उनमें पुलिसिया रौब नहीं था़ पड़ोसी रंजीत टोप्पो बताते हैं कि कांके थाने में पोस्टिंग के दौरान ही वे बाजार टांड़ सिलेंडर लेने गये थे. लाइन लगाकर खड़ा थे. किसी ने पहचान लिया, तो सिलेंडर दिला दिया था. इसी तरह अपने बच्चे की एडमिशन के लिए डीएवी नीरजा सहाय गये थे, तो शिक्षिका ने एडमिशन लेने से इनकार कर दिया. शिक्षिका को बताया भी नहीं कि वह पुलिस अफसर हैं. फिर दूसरे डीएवी में एडमिशन करा ट्रांसफर कराना पड़ा था.