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उड़ता झारखंड: युवा पीढ़ी में बढ़ रही नशे की लत, रोज 20 से 25 युवक पहुंच रहे हैं रिनपास

फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में ड्रग्स के नशे में डूबी दुनिया को पर्दे पर उतारा गया है़ इसमें दिखाया गया है कि नशे के चंगुल में फंस कर किस तरह लोग बरबादी के कगार पर पहुंच रहे हैं. इन दिनों कुछ ऐसा ही राजधानी के युवाओं में देखने को मिल रहा है. शहर की युवा पीढ़ी […]

फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में ड्रग्स के नशे में डूबी दुनिया को पर्दे पर उतारा गया है़ इसमें दिखाया गया है कि नशे के चंगुल में फंस कर किस तरह लोग बरबादी के कगार पर पहुंच रहे हैं. इन दिनों कुछ ऐसा ही राजधानी के युवाओं में देखने को मिल रहा है. शहर की युवा पीढ़ी में तेजी से नशे की लत फैल रही है़.
रांची: राजधानी में जवान हो रही पीढ़ी (12 से 20 साल) में नशे की लत तेजी से फैल रही है. यह नशा शराब या सिगरेट का नहीं है, बल्कि गांजा, कोकीन, अफीम, डेंडराइट और नशीली दवाओं का है. इस तरह का नशा करने की वजह से युवाओं की मानसिक स्थिति बिगड़ती जा रही है. कई का तो मनोचिकित्सालयों में इलाज भी चल रहा है.
रांची में रिनपास और सीआइपी में एक-एक ड्रग डी-एडिक्शन यूनिट बनी हुई है. दोनों स्थानों पर युवा मरीजों की भीड़ लगी रहती है. इसकी पुष्टि रिनपास के ड्रग डी-एडिक्शन विभाग के प्रभारी तथा सीनियर रेजीडेंट डॉ सिद्धार्थ सिन्हा भी करते हैं. वे बताते हैं कि हर दिन 20 से 25 युवक आते हैं, जो नशे की लत से परेशान होते हैं. इसमें ज्यादातर युवा रांची और आसपास के हैं.
नशे की लत में खा जाता है 20 गोली : डॉ सिन्हा बताते हैं कि पिछले माह संस्थान में इलाज के लिए एक युवा आया था़ वह नशीली दवाओं का मरीज था. नशा के लिए वह एक-एक बार में 20-20 गोली का सेवन करता था़ नशीली दवाओं में कई प्रकार के सिरप, अल्प्राजिपॉम, कोरेक्स, नाइट्राजिपॉम आदि है. ये दवा दुकानों में बिना डॉक्टरी सलाह के धड़ल्ले से बिक रही हैं.
गिरोह का सदस्य भी इलाज के लिए आया था : रिनपास में नशीली पदार्थों का कारोबार करनेवाला एक युवक भी इलाज के लिए आया था. उसने खुद स्वीकार किया था कि वह राजधानी के कई स्कूलों और कॉलेजों के युवकों को मादक पदार्थों की सप्लाई करता था. नशे के कारण कुछ प्रतिष्ठित संस्थानों में युवाओं के मौत के मामले भी सामने आये हैं.
हजार रुपये से अधिक का बेचता है डेंड्राइट: डॉ सिन्हा बताते हैं कि बरियातु में एक दुकान हर सप्ताह हजार रुपये से अधिक का डेंड्राइट बेचता है. दुकानदार ने खुद बताया कि ज्यादातर युवा इसके खरीदार हैं. डॉ सिन्हा बताते हैं कि कचरे का काम करनेवाले लोगों काे इसके सेवन की आदत ज्यादा होती है. इसका नशा काफी देर तक रहता है.
सस्ता है यह नशा : जिस नशे की जद में आकर युवा मनोरोगी बन रहे हैं, वह सस्ता भी है. डॉ सिन्हा बताते हैं कि 10 रुपये का गांजा काफी असरदार होता है. इसका नशा देर तक रहता है. शरीर पर इसका दुष्प्रभाव धीरे-धीरे दिखायी देता है. एक समय ऐसा आता है कि गांजा पीनेवाले का दिमाग काम करना बंद कर देता है. युवक डिप्रेशन में चले जाते हैं.
विदेशों में हर सप्ताह लिया जाता है पेशाब का सैंपल : डॉ सिन्हा बताते हैं कि कई यूरोपियन देशों में युवाओं को नशे की लत से रोकने के लिए कई प्रयास हो रहे हैं. वहां युवाओं की पेशाब का सैंपल हर सप्ताह लिया जाता है. पेशाब की जांच से हर प्रकार के नशा का पता चल जाता है.

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